नवरात्रि घटस्थापना | Navratri Ghatasthapana
नवरात्रि में घटस्थापना बेहद शुभ होती है, हमारे शास्त्रों में कलश को संपूर्ण देवी-देवताओं का निवास स्थान माना गया है। घटस्थापना से आप अपने पूजन स्थल पर सभी देवी-देवताओं का आवाहन कर सकते हैं। जिससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। इसलिए आज नवरात्रि के शुभ अवसर पर हम आपको घटस्थापना से जुड़े सभी प्रश्नों का उत्तर बताने जा रहे हैं।
आपकी घटस्थापना को आसान और अधिक शुभ बनाने के लिए हम इससे जुड़े सभी महत्वपूर्ण सवालों का ज़वाब लेकर आए हैं, जैसे कि
- घटस्थापना का महत्व क्या है?
- इसके नियम क्या हैं?
- इस साल घटस्थापना का शुभ मुहूर्त कब से कब तक है?
- घटस्थापना की सामग्री क्या है और कैसे करें घटस्थापना?
इसके अलावा हम आपको यह भी बताएंगे कि किस प्रकार आप घट में पानी को सूखने से बचा सकते हो। आप लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें-
यह तो हम सभी जानते हैं कि घटस्थापना को बेहद ज़रूरी और शुभ माना गया है, लेकिन क्या आपको इसके पीछे की वज़ह पता है? चलिए साथ में जानते हैं कि घटस्थापना इतनी महत्वपूर्ण क्यों होती है-
नवरात्रि घटस्थापना का महत्व | Navratri Ghatasthapana Mahtav
वास्तव में जो घट या कलश है, उसमें सभी देवी- देवताओं का आवाहन किया जाता है। इसे 33 कोटियों के देवी-देवताओं का निवास स्थान भी माना गया है। देवी-देवताओं के अतिरिक्त कलश में चारों वेदों और पवित्र नदियों का भी आवाहन किया जाता है। शास्त्रों में, कलश के मुख पर भगवान विष्णु, कंठ पर भगवान शंकर और जड़ यानी कलश के निचले स्थान में ब्रह्मा जी का स्थान बताया गया है। साथ ही कलश के ऊपर जो नारियल रखा जाता है, वह देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।
अगर बात करें घटस्थापना में जौ के पात्र की तो जौ का भी अपना धार्मिक महत्व है, हिंदू धर्म में इसे धरती पर उपजने वाली पहली फसल माना गया है। मान्यता है कि यह फसल देवी जी के द्वारा ही धरती पर प्रकट हुई थी इसलिए देवी जी के साथ जौ बो कर उसकी भी पूजा की जाती है।
पूजन स्थल पर इसको स्थापित करने से आपको और आपके पूरे परिवार को सभी देवी-देवताओं का आशीष मिलता है और घर में सुख समृद्धि का वास होता है।
इसलिए घटस्थापना को बेहद शुभ एवं लाभदायक माना गया है।
आपको बता दें, कुछ लोग नवरात्रि में केवल कलश स्थापना करते हैं और जौ नहीं बोते।
घटस्थापना के दो भाग होते हैं, पहले में एक मिट्टी के पात्र में जौ बोए जाते हैं और दूसरे में कलश स्थापना की जाती है। यह कलश मिट्टी, तांबे या पीतल का हो सकता है। जहां कुछ लोग, जौ वाले पात्र के ऊपर ही कलश को स्थापित कर देते हैं, वहीं कुछ लोग कलश और जौ के पात्र को पूजा में अलग-अलग रखते हैं। आप दोनों प्रकार से घटस्थापना कर सकते हैं।
घटस्थापना का महत्व तो आप लोगों ने जान लिया लेकिन यह बेहद ज़रूरी है कि आपको इससे जुड़े नियमों के बारे में पता हो। इस बात को ध्यान में रखते हुए घटस्थापना के नियमों को भी जान लेते हैं-
नवरात्रि में घटस्थापना की विधि | Navratri Ghatasthapana Vidhi
- दिन के एक तिहाई हिस्से से पहले घटस्थापना की प्रक्रिया संपन्न कर लेनी चाहिए
- इसके अलावा कलश स्थापना के लिए अमृत मुहूर्त को सबसे उत्तम माना गया है
- घटस्थापना मंदिर के उत्तर-पूर्व दिशा में करनी चाहिए। अगर आप किसी कारणवश अमृत मुहूर्त में घटस्थापना नहीं कर पाते हैं तो आप अभिजीत मुहूर्त में भी घटस्थापना कर सकते हैं।
- घटस्थापना के लिए शुभ नक्षत्र इस प्रकार हैं: पुष्या, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़, उत्तराभाद्रपद, हस्ता, रेवती, रोहिणी, अश्विनी, मूल, श्रवण, धनिष्ठा और पुनर्वसु।
नवरात्रि शुभ मुहूर्त | Ghatasthapana Shubh Muhurat
शारदीय नवरात्रि घटस्थापना- 03 अक्टूबर, गुरुवार (शुक्लपक्ष, प्रतिपदा) घटस्थापना मुहूर्त- 03 अक्टूबर, गुरुवार, 05:51 AM से 06:56 AM तक अभिजित घटस्थापना मुहूर्त- 03 अक्टूबर 11:23 AM से 12:10 PM तक प्रतिपदा तिथि प्रारंभ- 03 अक्टूबर, गुरुवार, 12:18 PM प्रतिपदा तिथि समापन- 04 अक्टूबर, शुक्रवार, 02:58 AM कन्या लग्न प्रारम्भ - 03 अक्टूबर, 05:51 AM कन्या लग्न समाप्त - 03 अक्टूबर, 06:56 AM
घटस्थापना की सामग्री | Navratri Ghatasthapana Samagri
चलिए अब आगे बढ़ते हुए घटस्थापना की संपूर्ण सामग्री के बारे में बताते हैं-
मिट्टी का बड़ा कटोरा, छानी हुई उपजाऊ मिट्टी, जौं के दानें, तांबे, मिट्टी या पीतल का कलश, जटा वाला नारियल, लाल चुनरी, मौली, आम के पत्ते या अशोक के पत्ते, रोली, पुष्प, अक्षत से भरा एक पात्र, यज्ञोपवित या जनैऊ, फल, मेवे।
कलश में डालने की सामग्री
कलश के अंदर डालने के लिए आपको अक्षत, हल्दी , कुमकुम, गंगाजल, शुद्धजल, सिक्का, दूर्वा, सुपारी, हल्दी की गांठ, मीठा बताशा या मिश्री की आवश्यकता होगी।
आपको बता दें, नवरात्रि में अलग-अलग दिनों पर आपको जिस भी सामग्री की आवश्यकता होगी, उसकी लिस्ट से जुड़ी हुई, सारी जानकारी श्रीमंदिर पर उपलब्ध है, आप उसे ज़रूर देखें।
घटस्थापना की सामग्री के बारे में तो हम लोगों ने जान लिया, चलिए बात करते हैं कि किस प्रकार या किस विधि से आपको यह घटस्थापना करनी चाहिए-
- नवरात्रि के प्रथम दिन स्नानादि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण कर लें।
- इसके पश्चात् पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़क कर शुद्धिकरण कर लें।
- अब पूजा स्थल पर चौकी लगाएं और उसपर लाल कपड़ा बिछाएं, चौकी को ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें। यह ध्यान रखें कि पूजा करने वाले व्यक्ति का मुख पूर्व दिशा में हो।
- चौकी पर माता की प्रतिमा या फिर चित्र को स्थापित कर लें। आप माता की प्रतिमा को स्थापित करने से पहले उन्हें गंगाजल से स्नान भी करवा सकते हैं और उनका श्रृंगार करने के बाद उन्हें चौकी पर विराजमान कर सकते हैं।
- अब चौकी पर माता की प्रतिमा के बाएं ओर अक्षत से अष्टदल बनाएं। अष्टदल बनाने के लिए कुछ अक्षत रखें और उसके बीच से शुरू करते हुए, बाहर की तरफ 9 कोने बनाएं। इसके ऊपर ही घट स्थापना की जाएगी।
- अब आपको आचमन करना है, उसके लिए आप बाएं हाथ में जल लें, और दायं हाथ में डालें, इस प्रकार दोनों हाथों को शुद्ध करें। फिर आचमन मंत्र यानी, “ॐ केशवाय नम: ॐ नाराणाय नम: ॐ माधवाय नम: ॐ ह्रषीकेशाय नम:”का उच्चारण करते हुए तीन बार जल ग्रहण करें, इसके बाद पुनः हाथ धो लें।
- घट स्थापना से पहले सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर लें और उसके ऊपर गंगाजल का छिड़काव करें। इस प्रकार सामग्री का शुद्धिकरण हो जाएगा।
- अब आप एक मिट्टी का बड़ा कटोरा लें, जिसमें मिट्टी डालकर जौ बो दें। इस पात्र को चौकी पर बनाएं गए अष्टदल पर रख दें।
- इसके अलवा आप एक मिट्टी, तांबे या पीतल का कलश लें, जिसपर रोली से स्वास्तिक बनाएं।
- कलश के मुख पर मौली बांधे।
- इस कलश में गंगा जल, व शुद्ध जल डालें।
- जल में हल्दी की गांठ, दूर्वा, पुष्प, सिक्का, सुपारी, लौंग इलायची, अक्षत, रोली और मीठे में बताशा भी डालें, ऐसा करते समय आप इस मंत्र का उच्चारण करें-
“कलशस्य मुखे विष्णु कंठे रुद्र समाश्रिता: मूलेतस्य स्थितो ब्रह्मा मध्ये मात्र गणा स्मृता:। कुक्षौतु सागरा सर्वे सप्तद्विपा वसुंधरा, ऋग्वेदो यजुर्वेदो सामवेदो अथर्वणा: अङेश्च सहितासर्वे कलशन्तु समाश्रिता:।”
- अब कलश के मुख को 5 आम के पत्तों से ढक देंगे और आम के पत्तों पर भी हल्दी, कुमकुम का तिलक अवश्य लगाएं।
- इन आम के पत्तों पर एक पात्र में अक्षत डाल कर रख दें।
- अब एक जटा वाला नारियल लें और उसपर चुनरी लपेट दें और मौली बांध दें।
- इस नारियल को कलश के ऊपर चावल वाले पात्र में रख दें।
- अंत में इस कलश को जिस मिट्टी के पात्र में जौ बोए थे, उसके ऊपर रख दें।
कलश में अगर जल सूखने लगे तो क्या करना चाहिए?
सबसे पहले तो आप इस बात पर ध्यान दें कि अगर आप मिट्टी का कलश ला रहे हैं तो उसे पूजा में रखने से पहले 1-2 दिन के लिए पानी में डुबो कर रख लें। इस प्रकार जब आप इसमें पानी भरकर रखेंगे तो वह नहीं सूखेगा, इसके अलावा जौ के पात्र में मिट्टी के बीच में एक छोटा गड्ढा बनाकर इसमें कलश रखें, यह भी जल को सूखने से बचाएगा। अगर आपको फिर भी लगता है कि जल सूख रहा है तो आप कलश के बगल से धीरे-धीरे पानी डाल सकते हैं। हम उम्मीद करते हैं यह उपाय आपके काम आएगा।
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अब आगे की विधि जान लेते हैं। घटस्थापना के बाद आप माता की प्रतिमा के दाएं तरफ अखंड दीपक रखें और उसे प्रज्वलित करें।
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अखंड दीप प्रज्वलित करने से संबंधित संपूर्ण जानकारी ऐप पर उपलब्ध है, आप उसे ज़रूर देखें।
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घटस्थापना के बाद, इसकी पूजा भी की जाती है। आप घट के समक्ष धूप, दीप अवश्य दिखाएं और भोग में मेवे व फल अर्पित करें।
तो इस प्रकार आप नवरात्रि में घटस्थापना विधिपूर्वक कर सकते हैं, हम आशा करते हैं कि आपकी पूजा फलदायी हो।
जय माता दी