माता के श्रृंगार से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
नवरात्रि पूर्ण रूप से देवी दुर्गा के 9 रूपों को समर्पित होती है, सभी भक्तों के जीवन में यह पर्व भक्ति की एक नई तरंग लेकर आता है। इस दौरान भक्त विभिन्न प्रकार से माता के प्रति अपने समर्पण को व्यक्त करते हैं, माता का श्रृंगार इन्ही कृत्यों में से एक है।
देवी जी के श्रृंगार के समय यह आवश्यक है कि हम हर उस छोटी बात का ध्यान रखें, जिससे उन्हें अधिक प्रसन्न किया जा सकता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए आज हम देवी जी के श्रृंगार से संबंधित संपूर्ण जानकारी आपके लिए लेकर आए हैं।
माता का श्रृंगार करने का अवसर अपने आप में भक्तों के लिए बहुत बड़े सौभाग्य की बात होती है। इसलिए आज हम आपको माता के श्रृंगार का महत्व क्या है, श्रृंगार कैसे करें, किस दिन किस रंग का प्रयोग करें, जैसी महत्वपूर्ण बातों की जानकारी देंगे, आप लेखा को अंत तक अवश्य पढ़ें।
माता का श्रृंगार लिस्ट | Mata Ka Shringar
लाल चुनरी, चूड़ी, बिछिया, इत्र, सिंदूर, महावर, बिंदी, मेहंदी, काजल, नेलपॉलिश, लाली, सिंदूर, इत्र, लहंगा, गजरा, चोटी, कंघा, दर्पण, कुमकुम, मुकुट, गले का हार, पायल, कान की बाली, नथ, बाजूबंद, कमरबंध, मांगटीका और अंगूठी।
ऐसी मान्यता है कि माता का श्रृंगार करने से स्त्रियों को अखंड सौभाग्य का आशीष प्राप्त होता है। इसके अलावा भक्त अपनी श्रद्धानुसार माता के श्रृंगार के लिए सजने-संवरने की अन्य चीज़ें जैसे क्रीम और पाउडर भी देवी जी को अर्पित कर सकते हैं।
नवरात्रि में क्यों माता का श्रृंगार विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है
शास्त्रों में माता दुर्गा के स्वरूप को अलौकिक एवं दिव्य बताया गया है। यह अपने आप में एक अद्भुत बात है कि भक्तों को ऐसी दिव्य शक्ति के प्रति अपने भक्तिभाव को प्रकट करने के लिए माता के श्रृंगार का शुभ अवसर मिलता है। इन्हीं शुभ अवसरों में से एक है नवरात्रि का पावन समय। आस्था और भक्ति से परिपूर्ण इन नौ दिनों में देवी के 9 रूपों के श्रृंगार आपकी पूजा को अधिक मंगलकारी बना सकता है। भक्तों के प्रेम, आस्था और समर्पण से देवी माँ अत्यंत प्रसन्न होती हैं, और अपने भक्तों पर असीम कृपा बरसाती हैं।
इसके अलावा नवरात्रि में देवी जी का श्रृंगार इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि माता दुर्गा को नारी शक्ति का भी प्रतीक माना जाता है, श्रृंगार को एक स्त्री के जीवन में बेहद महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि इससे एक नारी के सौंदर्य में चार चाँद लग जाते हैं। माता को श्रृंगार करना उनके नारीत्व को सुशोभित करने जैसा है।
श्रृंगार किस प्रकार करना चाहिए?
- सबसे पहले एक थाली में देवी जी की प्रतिमा को रख कर गंगाजल से स्नान करवाएं।
- इसके बाद उन्हें वस्त्र पहनाएं।
- वस्त्र पहनाने के बाद आप देवी जी को एक-एक करके सारे गहने पहनाएं।
- माता को गहनों से सुसज्जित करने के बाद, अगर आप देवी जी के लिए चोटी लेकर आए हैं, तो वह लगाएं और उसके उपर से उन्हें चुनरी ओढ़ाएं।
- इसके बाद माता के सिर पर मुकुट सजाएं
- देवी जी को चूड़ी पहनाएं, बिंदी लगाएं, सिंदूर लगाएं और इत्र भी अवश्य लगाएं।
इस प्रकार आप देवी जी की प्रतिमा को अत्यंत खूबसूरत तरीके से सजा सकते हैं। आपको बता दें, देवी जी के श्रृंगार के समय विभिन्न रंगों का भी विशेष महत्व होता है।
किस दिन देवी जी को किस रंग के वस्त्र अर्पित करने चाहिए और खुद किस रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए?
पहला दिन- देवी शैलपुत्री
देवी जी के वस्त्रों का रंग- पीला
आपके वस्त्रों का रंग- सफेद
नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा की जाती है। देवी जी के इस स्वरूप को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें और स्वयं सफेद रंग के वस्त्र धारण करें।
दूसरा दिन- देवी ब्रह्मचारिणी
देवी जी के वस्त्रों का रंग- हरा
आपके वस्त्रों का रंग- लाल
दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की आराधना करने से पहले देवी जी को हरे रंग के वस्त्र पहनाएं और खुद लाल रंग के वस्त्र पहन लें।
तीसरा दिन- देवी चंद्रघंटा
देवी जी के वस्त्रों का रंग- भूरा
आपके वस्त्रों का रंग- नीला
नवरात्रि का तीसरा दिन माता के चंद्रघंटा स्वरूप को समर्पित होता है, उन्हें भूरे रंग का जोड़ा पहनाएं और खुद गहरे नीले रंग के वस्त्र पहनें।
चौथा दिन- माता कुष्मांडा
देवी जी के वस्त्रों का रंग- नारंगी
आपके वस्त्रों का रंग- पीला
चौथे दिन माता कुष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए आप उन्हें नारंगी रंग के कपड़े पहना सकते हैं और खुद पीले रंग के कपड़े पहन सकते हैं।
पांचवा दिन- देवी स्कंदमाता
देवी जी के वस्त्रों का रंग- सफेद
आपके वस्त्रों का रंग- हरा
स्कंद माता की पूजा पांचवे दिन की जाती है, माता को सफेद रंग प्रिय होता है, इसलिए आप उन्हें सफेद रंग के वस्त्रों से सुसज्जित करें और खुद पूजा में हरे रंग के वस्त्र पहनें।
छठा दिन- माता कात्यायनी
देवी जी के वस्त्रों का रंग- लाल
आपके वस्त्रों का रंग- स्लेटी
छठे दिन माता कात्यायनी को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें और खुद स्लेटी रंग धारण कर लें।
सप्तमी- माता कालरात्रि
देवी जी के वस्त्रों का रंग- नीला
आपके वस्त्रों का रंग- नारंगी
अष्टमी- देवी महागौरी
देवी जी के वस्त्रों का रंग- गुलाबी
आपके वस्त्रों का रंग- मोरपंख वाला हरा
नवमी- माँ सिद्धिदात्री
देवी जी के वस्त्रों का रंग- जामुनी
आपके वस्त्रों का रंग- गुलाबी
सप्तमी पर माता कालरात्रि को नीले, अष्टमी पर देवी महागौरी को गुलाबी और नवमी पर माँ सिद्धिदात्री को जामुनी रंग के वस्त्र अर्पित करें और खुद क्रमशः नारंगी, मोरपंख वाला हरा और गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करें।
नवरात्रि के पर्व में देवी जी के श्रृंगार का विशेष महत्व है। आप भी इन बातों को ध्यान में रखते हुए इस पर्व को अधिक शुभ बनाएं और माता का आशीष प्राप्त करें और श्रीमंदिर के साथ जुड़े रहें।
नवरात्रि में माता के श्रृंगार का विशेष महत्व है इसलिए हम आपके लिए लेकर आए हैं, उनके श्रृंगार से संबंधित संपूर्ण जानकारी। जानें कि इस नवरात्रि माता को श्रृंगार के रूप में क्या चढ़ाएं, क्यों चढ़ाएं और किस प्रकार चढ़ाएं। साथ ही नवरात्रि के 9 तक दिनों माता को अर्पित किए जाने वाले वस्त्रों के रंगों और स्वयं धारण करने वाले वस्त्रों के रंगों के बारे में भी जानें, जिससे यह नवरात्रि आपके लिए और भी शुभ हो।