बवासीर का आयुर्वेदिक इलाज

बवासीर का आयुर्वेदिक इलाज

बवासीर का घरेलू उपचार


बवासीर का घरेलू उपचार

बवासीर यानी पाइल्स एक ऐसी बीमारी है, जो बेहद तकलीफदेह होती है। इसमें गुदा के अंदर और बाहर सूजन आ जाती है। जिसके कारण किसी एक जगह पर मस्से बन जाते हैं। ये मस्से कभी अन्दर रहते हैं, तो कभी बाहर आ जाते हैं। जो काफी दर्दनाक होता है। समय पर बवासीर का इलाज नहीं होने पर तकलीफ काफी बढ़ जाती है।

पाइल्स अनुवांशिक समस्या भी हो सकती है, यानी यदि परिवार में किसी को यह समस्या पहले रही है, तो इससे दूसरे व्यक्ति को होने की आशंका बनी रहती है। बवासीर दो प्रकार के होते हैं। खूनी बवासीर और बादी बवासीर। खूनी बवासीर में पीड़ा नहीं होती है, बल्कि मल त्याग के समय खून आता है। वहीं बादी बवासीर में पेट की समस्या बहुत परेशान करती है। इसमें कब्ज और गैस की समस्या बनी ही रहती है। इसमें रक्तस्राव तो नहीं होता है, लेकिन खुजली और जलन बहुत तेज होती है। कई बार इसमें असहनीय पीड़ा भी होती है।

बवासीर के लक्षण

बवासीर होने पर गुदा के आस-पास कठोर गांठ जैसी महसूस होती है। इसमें दर्द के साथ मलद्वार से खून आ सकता है। शौच के बाद भी पेट साफ न होने का आभास होते रहता है। गुदा के आस-पास खुजली, लालीपन और सूजन रहता है।

बवासीर के कारण

बवासीर वात, पित्त और कफ दोष के कारण होने वाली बीमारी है। कुछ लोगों में यह रोग अनुवांशिक होता है, तो कुछ में खान-पान के साथ जीवनशैली में लापरवाही के कारण भी यह हो सकता है। बवासीर घंटों खड़े रहने, भारी वजन उठाने से भी हो सकता है। कब्ज बवासीर होने का प्रमुख कारण है। इसके अलावा तला और मसालेदार भोजन से भी इसके होने की संभावना बढ़ जाती है।

बवासीर का घरेलू इलाज

एलोपैथ में बवासीर का इलाज दवा और ऑपरेशन के जरिये किया जाता है। वहीं आयुर्वेद में इसे ठीक करने के लिए कई जड़ी-बूटियों का वर्णन मिलता है। एलोवेरा को बवासीर के इलाज में बहुत ही कारगर माना गया है। एलोवेरा के सूजनरोधी और चिकित्सकीय गुणों से बवासीर की जलन को कम करने में मदद मिलती है। इससे कब्ज की समस्या भी दूर होती है।

बवासीर में सेब का सिरका भी काफी फायदेमंद होता है। सेब का सिरका रक्त वाहिनियों को सिकुड़ने में मदद करता है। खूनी बवासीर में एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका डालकर दिन में दो बार पीने से राहत मिलती है। नारियल का उपयोग भी बवासीर में काफी लाभदायक होता है। नारियल की जटाओं को जलाकर इसे सुबह ताजे मट्ठे में मिलाकर खाली पेट पीने से बवासीर में लाभ मिलता है।

इसके अलावा बवासीर पका केला खाने से भी लाभ मिलता है।

  • बवासीर की बीमारी के दौरान खान-पान पर विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को
  • ज्यादा फाइबर युक्त आहार का सेवन करना चाहिए। रेशेदार फल और सब्जियां बवासीर को ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस दौरान जंक-फूड, तला-भुना और मिर्च-मसाले युक्त भोजन से परहेज करना चाहिए।

Disclaimer: यह लेख सामान्य रूप से उपलब्ध जानकारी के आधार पर है। अगर इन घरेलू उपायों के बाद किसी तरह की परेशानी महसूस करते हैं, तो इसे बिल्कुल न करें और तुरंत अपने नजदीकी डॉक्टर से सम्पर्क करें। कोशिश करें कि ये सभी उपाय किसी जानकार शख्स के देख-रेख में करें।

श्री मंदिर द्वारा आयोजित आने वाली पूजाएँ

देखें आज का पंचांग

slide
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?

अभी डाउनलॉड करें श्री मंदिर एप

करें ईश्वर की भक्ति कहीं भी, कभी भी।

Play StoreApp Store
srimandir devotees