काली माता आरती | Kaali Mata Aarti
सनातन धर्म में माता काली को बुराई पर अच्छाई की विजेता के रूप में पूजा जाता है। राक्षसों का नाश करने के लिए मां दुर्गा ने काली रूप में अवतार लिया।
माना जाता है कि मां काली की पूजा एवं आरती करने से जीवन के सभी कष्ट, पीड़ाओं और शत्रुओं का नाश हो जाता है।
काली जी की आरती | Aarti Kaali Mata Ji Ki
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।
तेरे भक्त जनो पर माता भीड़ पड़ी है भारी,
दानव दल पर टूट पड़ो माँ,
करके सिंह सवारी।
सौ-सौ सिहों से बलशाली,
अष्ट भुजाओं वाली,
दुष्टों को तू ही ललकारती।।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
माँ-बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता,
पूत-कपूत सुने है पर ना,
माता सुनी कुमाता।
सब पे करूणा दर्शाने वाली,
अमृत बरसाने वाली,
दुखियों के दुखड़े निवारती।।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना,
हम तो मांगें तेरे चरणों में,
छोटा सा कोना।
सबकी बिगड़ी बनाने वाली,
लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को संवारती।।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो माँ,
संकट हरने वाली।
माँ भर दो भक्ति रस प्याली,
अष्ट भुजाओं वाली,
भक्तों के कारज तू ही सारती।।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती,
हो मैया हम सब उतारे तेरी आरती।
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती,
हो मैया हम सब उतारे तेरी आरती।
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