भगवद् गीता आरती | Bhagavad Gita Ji Ki Aarti
सानतन धर्म में भगवद्गीता का बहुत ही अधिक महत्व है। मान्यता है कि जो लोग प्रतिदिन भगवद्गीता का पाठ करते हैं और गीता में बताई गई बातों को अपने जीवन में उतारते हैं, वे जीवन में आने वाली हर बड़ी से बड़ी मुश्किलों का सामना बड़ी ही आसानी से कर लेते हैं। वहीं बात करें भागवत गीता आरती कि तो, जो भक्त प्रतिदिन भागवत गीता की आरती पढ़ता है, उसके सभी दु:खों का नाश होता है। साथ ही उसके हृदय में ज्ञान का प्रकाश फैलता है और जीवन से अज्ञानता का नाश होता है। तो आइए पढ़ते हैं भागवत गीता आरती (bhagavad gita aarti in hindi) सरल हिंदी में।
भगवद् गीता जी की आरती | Bhagavad Gita Aarti
जय भगवद् गीते, जय भगवद् गीते । हरि-हिय-कमल-विहारिणि, सुन्दर सुपुनीते ॥
कर्म-सुमर्म-प्रकाशिनि, कामासक्तिहरा । तत्त्वज्ञान-विकाशिनि, विद्या ब्रह्म परा ॥ जय भगवद् गीते...॥
निश्चल-भक्ति-विधायिनि, निर्मल मलहारी । शरण-सहस्य-प्रदायिनि, सब विधि सुखकारी ॥ जय भगवद् गीते...॥
राग-द्वेष-विदारिणि, कारिणि मोद सदा । भव-भय-हारिणि, तारिणि परमानन्दप्रदा ॥ जय भगवद् गीते...॥
आसुर-भाव-विनाशिनि, नाशिनि तम रजनी । दैवी सद् गुणदायिनि, हरि-रसिका सजनी ॥ जय भगवद् गीते...॥
समता, त्याग सिखावनि, हरि-मुख की बानी । सकल शास्त्र की स्वामिनी, श्रुतियों की रानी ॥ जय भगवद् गीते...॥
दया-सुधा बरसावनि, मातु! कृपा कीजै । हरिपद-प्रेम दान कर, अपनो कर लीजै ॥ जय भगवद् गीते...॥
जय भगवद् गीते, जय भगवद् गीते । हरि-हिय-कमल-विहारिणि, सुन्दर सुपुनीते ॥