सुब्रहमन्य षष्ठी | Subrahmanya Sashti 2024
स्कंद षष्ठी के दिन मां पार्वती और शिव जी के पुत्र कार्तिकेय जी की आराधना की जाती है। कुमार कार्तिकेय का नाम स्कंद भी है। इसलिए इसे स्कंद षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि परिवार में सुख-शांति और संतान प्राप्ति के लिए स्कंद षष्ठी का व्रत बेहद खास महत्व रखता है।
इस व्रत को दक्षिण भारत में प्रमुख त्यौहारों में से एक माना जाता है। यहां भगवान कार्तिकेय को कुमार, मुरुगन, सुब्रह्मण्यम जैसे कई नामों से जाना जाता है। उत्तर भारत में कार्तिकेय को गणेश का बड़ा भाई माना जाता है, लेकिन दक्षिण भारत में कार्तिकेय गणेश जी के छोटे भाई माने जाते हैं। इसलिए हर महीने की षष्ठी को स्कंद षष्ठी मनाई जाती है। षष्ठी तिथि कार्तिकेय जी की तिथि होने के कारण इसे कौमारिकी भी कहा जाता है।
सुब्रहमन्य षष्ठी कब है?
- हिंदू पंचांग के अनुसार, हर मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी मनाई जाती है।
- मार्गशीर्ष मास की स्कंद षष्ठी 06 दिसंबर 2024, शुक्रवार को मनाई जाएगी।
- षष्ठी तिथि का प्रारंभ 06 दिसंबर, शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 07 मिनट से होगा।
- वहीं इस तिथि का समापन 07 दिसंबर को सुबह 11 बजकर 05 मिनट पर होगा।
जानें इस दिन का महत्व
- माना जाता है कि, इस दिन संसार में हो रहे कुकर्मों को समाप्त करने के लिए कार्तिकेय का जन्म हुआ था।
- बताया जाता है कि स्कंद षष्ठी की उपासना से च्यवन ऋषि को आंखों की ज्योति प्राप्त हुई थी।
- यह भी बताया गया है कि स्कंद षष्ठी की कृपा से प्रियव्रत के मृत शिशु के प्राण लौट आए थे।
- ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस दिन अगर विधि-विधान से भगवान कार्तिकेय का व्रत रखकर उनकी आराधना की जाए तो व्यक्ति को तमाम प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- इसके अलावा संतान को भी उनकी तमाम समस्याओं से छुटकारा मिलता है साथ ही धन-वैभव की भी प्राप्ति होती है।
सुब्रहमन्य षष्ठी क्यों मनाई जाती है?
मान्यता है कि भगवान कार्तिकेय का जन्म षष्ठी तिथि को हुआ था। इसलिए इस दिन उनका जन्मदिन मनाया जाता है। भगवान कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति माना जाता है। उन्होंने कई राक्षसों और दैत्यों का वध किया था। इस दिन उनकी इस विजय का जश्न मनाया जाता है। सुब्रह्मण्य षष्ठी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से सुख-समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। भगवान कार्तिकेय को जीवन की समस्याओं का समाधान करने वाला माना जाता है। इस दिन उनकी पूजा करने से जीवन की समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
सुब्रहमन्य षष्ठी का शुभ मुहूर्त क्या है
- ब्रह्म मुहूर्त - 04:43 AM से 05:37 AM
- प्रातः सन्ध्या - 05:10 AM से 06:30 AM
- अभिजित मुहूर्त - 11:28 AM से 12:10 PM
- विजय मुहूर्त - 01:35 PM से 02:18 PM
- गोधूलि मुहूर्त - 05:05 PM से 05:32 PM
- सायाह्न सन्ध्या - 05:08 PM से 06:28 PM
- अमृत काल - 06:58 AM से 08:33 AM
- निशिता मुहूर्त - 11:23 PM से 12:16 AM, 07 दिसम्बर
विशेष योग-
- सर्वार्थ सिद्धि योग - 06:30 AM से 05:18 PM
- रवि योग - 05:18 PM से 06:31 AM, 07 दिसम्बर
सुब्रहमन्य षष्ठी पूजा की विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को साफ-सुथरा करके गंगाजल से शुद्ध करें।
- भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या चित्र को एक स्वच्छ चौकी पर स्थापित करें।
- मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं और चंदन, रोली से तिलक लगाएं।
- घी का दीपक जलाएं और अगरबत्ती या धूपक जलाएं।
- भगवान को फूलों की माला अर्पित करें और फल चढ़ाएं।
- भगवान को प्रिय भोग अर्पित करें।
निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें-
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात:, देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव। कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥, ॐ शारवाना-भावाया नम: ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा देवसेना मन: कांता कार्तिकेया नामोस्तुते।
- भगवान का ध्यान करते हुए अर्चना करें।
- सुब्रह्मण्य षष्ठी की कथा सुनें।
- पूजा के बाद प्रसाद का वितरण करें।
आइए, अब जानते हैं स्कंद षष्ठी के दिन किन विशेष बातों का खास ख्याल रखना चाहिए और किन चीजों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
- स्कन्द षष्ठी के दिन दान आदि कार्य करना शुभ माना जाता है।
- इसके अलावा इस दिन स्कंद देव की स्थापना करके अखंड दीपक जलाना चाहिए।
- स्कंद षष्ठी के दिन पूजन में तामसिक भोजन मांस, शराब, प्याज, लहसुन नहीं शामिल करना चाहिए।
- साथ ही इस दिन व्रत का पालन करने वाले लोग ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- वहीं अगर कोई व्यक्ति व्यावसायिक कष्टों से जूझ रहा है तो वो इस दिन कुमार कार्तिकेय को दही में सिंदूर मिलाकर अर्पित करें।
सुब्रह्मण्य षष्ठी पूजा के लाभ
- भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर जैसे राक्षसों का वध करके बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक स्थापित किया।
- इस दिन उनकी पूजा करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- भगवान कार्तिकेय को शक्ति और साहस का देवता माना जाता है।
- उनकी पूजा करने से व्यक्ति में शक्ति और साहस बढ़ता है और वह जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होता है।
- भगवान कार्तिकेय को ज्ञान और विवेक का देवता भी माना जाता है। उनकी पूजा करने से व्यक्ति को ज्ञान प्राप्त होता है और वह सही और गलत में अंतर करने में सक्षम होता है।
- भगवान कार्तिकेय की कृपा से व्यक्ति को जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है। व्यापार और व्यवसाय में वृद्धि होती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
- भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जो भी व्यक्ति सच्चे मन से उनकी पूजा करता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।
- भगवान कार्तिकेय को रोगों के नाशक के रूप में भी जाना जाता है। उनकी पूजा करने से व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ्य लाभ होता है।
तो भक्तों इस लेख में आपने सुब्रह्मण्य षष्ठी का शुभ मुहूर्त, महत्व और इस दिन किन चीजों को करने से बचना चाहिए इस विषय पर जानकारी प्राप्त की। ऐसी ही अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए बने रहें श्री मंदिर के साथ, धन्यवाद।