प्रथम श्रावण सोमवार के दिन क्या करें और क्या न करें
शिवभक्त बड़े ही आस्था के साथ हर वर्ष सावन के सोमवार का व्रत रखते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये व्रत इतना महत्वपूर्ण क्यों माना गया है? पहले सावन सोमवार व्रत में क्या करना चाहिए, जिससे इस व्रत का सम्पूर्ण फल मिले, तो चलिए आज इस व्रत से जुड़ी कुछ विशेष बातें जानते हैं।
श्रावण मास के सोमवार का महत्व
सावन सोमवार व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शंकर व माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार जो लोग सावन के सोमवार का व्रत रखकर महादेव का जलाभिषेक करते हैं, और विधिवत् पूजा-अर्चना करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पौराणिक कथाओं में वर्णन मिलता है कि देवी सती ने अपने प्राण त्यागने के बाद अगला जन्म पार्वती के रूप में लिया। और फिर से भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए पार्वती जी ने कई वर्षों तक सावन के सोमवार का व्रत रख घोर तपस्या की थी। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव के कारण ही देवी पार्वती की शिव जी से विवाह करने की मनोकामना पूर्ण हुई थी। तब से कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर पाने के लिए सावन के सोमवार का व्रत रखती हैं। इसके अलावा ये व्रत सभी शिवभक्तों के लिए भी विशेष फलदाई होता है। यह था श्रावण मास के सोमवार का महत्व, आगे हम जानेंगे कि पहले सावन सोमवार व्रत में क्या करना चाहिए?
श्रावण सोमवार के पहले दिन क्या करें
श्रावण मास में हर सोमवार को मंदिर जाकर शिव परिवार की धूप, दीप, नेवैद्य, फल और फूल अर्पित कर पूजा करें, एवं सारा दिन उपवास करें।
शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाकर महादेव का दूध से अभिषेक करें, और शाम को मीठा भोजन करें।
दूसरे दिन सुबह शिव जी की पूजा करने के बाद अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान देकर व्रत का पारण करें।
सावन के सोमवार में पूजा के समय सफेद वस्त्र पहनें और सफेद चन्दन का तिलक लगाएं।
इस दिन अधिक से अधिक सफेद वस्तुओं का दान करें, ये बहुत शुभ माना जाता है। तो यह था कि पहले सावन सोमवार व्रत में क्या करना चाहिए। अब आगे जानेंगे कि पहले सावन सोमवार व्रत में क्या नहीं करना चाहिए और पहले सावन सोमवार व्रत में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।
सावन सोमवार के दिन क्या ना करें
सावन सोमवार की पूजा कभी भी काले रंग के वस्त्र पहन कर ना करें।
इस दिन अपने मन में कोई भी गलत विचार ना लाएं, किसी का अपमान ना करें, सबका भला सोचें।
इस दिन मांस मदिरा का सेवन करने व जुआ, चोरी आदि अनैतिक कार्य करने से बचें।
भगवान शिव की पूजा में तुलसी का प्रयोग वर्जित माना गया है, इसलिए इस पूजा में तुलसीदल का प्रयोग ना करें।
शिव जी को नारियल चढ़ाना शुभ होता है, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि शिव जी को नारियल का पानी कभी भी ना चढ़ाएं।
भगवान शंकर की पूजा में अभिषेक के समय दूध से अभिषेक करने के लिए तांबे के कलश का प्रयोग न करें। तांबे के पात्र में दूध डालने से दूध संक्रमित हो जाता है, जिससे ये चढ़ाने योग्य नहीं रह जाता है।