आषाढ़ पूर्णिमा 2024 (Ashadha Purnima 2024)
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को विष्णु भक्त आषाढ़ पूर्णिमा व्रत रखते हैं और श्रद्धापूर्वक स्नान-दान आदि पुण्यकर्म करते हैं। इस दिन जातक श्री हरि की विधिवत् पूजा के साथ गोपद्म व्रत का पालन करते हैं। आपको बता दें कि आषाढ़ पूर्णिमा को 'गुरु पूर्णिमा' या 'व्यास पूर्णिमा' के रूप में भी मनाया जाता है। आइए जानने इस साल आषाढ़ पूर्णिमा व्रत कब है और क्या है इस व्रत का महत्व।
आषाढ़ पूर्णिमा व्रत कब है? (Ashadha Purnima Date 2024)
आषाढ़ पूर्णिमा व्रत व स्नान-दान जैसे अनुष्ठान रविवार 21 जुलाई को किए जाएंगे। आषाढ़ पूर्णिमा व्रत मुहूर्त की बात करें तो पूर्णिमा तिथि शनिवार 20 जुलाई को शाम 05 बजकर 59 मिनट पर प्रारंभ हो रही है। इस तिथि का समापन रविवार 21 जुलाई को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट पर होगा।
आषाढ़ पूर्णिमा पर बन रहे हैं दो शुभ योग (Ashadha Purnima Shubh Yog)
आषाढ़ पूर्णिमा 2024 में दो बेहद ही शुभ योग बन रहे हैं। ये योग जातक के लिए बेहद ही लाभकारी माने जा रहे हैं। पहला योग सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। जो सुबह 05 बजकर 20 मिनट से 22 जुलाई सुबह 12 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा प्रीति योग का प्रारंभ रात 09 बजकर 11 मिनट से होगा। मान्यता है इन दोनों ही योग में पूजा-पाठ करना बहुत ही शुभ होता है।
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन चंद्र अर्घ्य का समय (Moon Arghya Time on Ashadha Purnima 2024)
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन शाम 07 बजकर 06 मिनट में चंद्रमा का उदय होगा। जो जातक इस दिन उपवास रखेंगे, उन्हें इस समय पर चंद्रदेव की पूजा करके अर्घ्य देना चाहिए। कहा जाता है कि चंद्र अर्घ्य देने व से जीवन में सदैव सुख- शांति बनी रहती है।
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन लगेगी भद्रा? (Bhadra on Ashadha Purnima)
आषाढ़ पूर्णिमा 2024 में के दिन भद्रा लगेगी। भद्राकाल का आरम्भ शनिवार 20 जुलाई को शाम 05 बजकर 59 मिनट पर होगा। वहीं रविवार 21 जुलाई को सुबह 04 बजकर 56 मिनट पर भद्रा का समापन होगा।
आषाढ़ पूर्णिमा का महत्व (Importance of Ashadha Purnima)
आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पूर्वाषाढ़ा या उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में गोचर करते हैं। यदि आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में आते हैं, तो वो पूर्णिमा समृद्धि व सौभाग्य प्रदान करने वाली मानी जाती है। आषाढ़ पूर्णिमा पर जातक व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की उपासना करते हैं। मान्यता है कि ये व्रत मनोवांछित फल देने वाला होता है। साथ ही इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य जीवन के सभी सुखों को भोगने के बाद मोक्ष प्राप्त करता है।
आषाढ़ पूर्णिमा का दिन गुरु पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने गुरु का आशीर्वाद लेते हैं, और उनके मार्गदर्शन के लिए कृतज्ञता प्रकट करते हैं। ये दिन बौद्ध संस्कृति के लिए भी विशेष महत्व रखता है। माना जाता है कि गौतम बुद्ध ने बोध गया में ज्ञान प्राप्त करने के बाद अपना पहला उपदेश सारनाथ में आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही दिया था।
आषाढ़ पूर्णिमा व्रत के दिन किए जाने वाले उपाय (Ashadha Purnima Vrat Upaay)
जिन जातकों की कुंडली में चंद्रदोष हो, उन्हें आषाढ़ पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए, और उनके बीजमंत्र का जाप करना चाहिए
चंद्र दोष से मुक्ति के लिए एक लाभकारी उपाय ये भी है कि पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद किसी निर्धन ब्राह्मण को सफेद वस्त्र, चावल, शक्कर, दूध, सफेद मिठाई, चांदी, मोती आदि का दान करें।
एक मान्यता और है कि पूर्णिमा के दिन भगवान शिव की उपासना करने से भी चंद्र द्रोष का निवारण होता है।
आषाढ़ पूर्णिमा पर गोपद्म व्रत के अनुष्ठान (Gopadma Fast on Ashadha Purnima)
आषाढ़ पूर्णिमा पर गोपद्म व्रत का पालन करने के लिए कुछ विशेष अनुष्ठान होते हैं, जो इस प्रकार हैं-
1- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें, और विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें।
2- पूजा के समय सत्यनारायण भगवान की कथा अवश्य सुनें या पढ़ें। इससे विशेष लाभ मिलता है।
3- आषाढ़ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु के गरुड़ पर विराजमान चतुर्भुज रूप के साथ माता लक्ष्मी का ध्यान करें।
4- इस दिन जातक ब्राह्मणों व निर्धन व्यक्तियों को भोजन कराएं, और अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा देकर उन्हें आदरपूर्वक विदा करें।
5- इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों को गाय की पूजा करनी चाहिए। गौ माता को भोजन कराकर तिलक लगाना चाहिए, और उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।