कार्तिगाई दीपम् | Karthigai Deepam 2024
मासिक कार्तिगाई एक मासिक-त्यौहार है जिसे मुख्य रूप से तमिल हिन्दुओं द्वारा काफी हर्षोल्लास से मनाया जाता है। मासिक कार्तिगाई को दीपम कार्तिगाई के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिगाई दीपम का नाम कार्तिगाई या कृत्तिका नक्षत्र से लिया गया हैं। जिस दिन कृत्तिका नक्षत्र प्रबल होता है उस दिन कार्तिगाई दीपम मनाया जाता है। यह त्योहार कार्तिक महीने के दौरान मनाया जाता है, जो आमतौर पर नवंबर और दिसंबर के महीनों में पड़ता है।
कार्तिगाई दीपम् कब मनाया जाता है
- आपको बता दें, दिसंबर माह में यह पर्व 13 तारीख को मनाया जाएगा।
- त्योहार के दिन शाम के समय घरों और गलियों में तेल के दीप एक पंक्ति में जलायें जाते हैं। साथ ही, इस दिन भगवान शिव, भगवान मुरुगन और उनके पुत्र कार्तिकेय जी की पूजा का विधान है।
- ऐसी मान्यता है कि इनकी आराधना करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।
- कार्तिगाई नक्षत्रम् 13 दिसम्बर 2024 को प्रातः 07 बजकर 50 मिनट पर प्रारम्भ होगा।
- वहीं, कार्तिगाई नक्षत्रम् का समापन 14 दिसम्बर 2024 को प्रातः 05 बजकर 48 मिनट पर होगा।
मासिक कार्तिगाई के शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:48 से प्रातः 05:41 तक
- प्रातः संध्या - प्रातः 05:14 से प्रातः 06:35 तक
- अभिजीत – दिन में 11:31 से 12:14 तक
- विजय मुहूर्त – दोपहर में 01:38 से 02:20 तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 05:07 बजे से 05:34 बजे तक
- सायंकाल संध्या – शाम 05:10 बजे से 06:30 बजे तक
- अमृत काल – प्रातः 03:36 से 05:04 तक
- निशिता मुहूर्त – रात 11:26 से 12:20, 14 दिसंबर
विशेष योग
- रवि योग – 13 दिसंबर प्रातः 07:50 से 14 दिसंबर प्रातः 05:48 तक
कहां जलाते हैं महादीपम?
तिरुवन्नामलई की पहाड़ी में कार्तिगाई का त्यौहार बहुत प्रसिद्ध हैं। कार्तिगाई के दिन पहाड़ी पर विशाल दीप जलाया जाता है जो पहाड़ी के चारों ओर कई किलोमीटर तक दिखता है। इस दीप को महादीपम कहते हैं और हिन्दु श्रद्धालु यहाँ जाते हैं और भगवान शिव की प्रार्थना करते हैं।
कैसे की जाती है इस दिन पूजा
- मासिक कार्तिगाई पर, भगवान-शिव और भगवान-मुरुगन का आशीर्वाद लेने का बहुत ही अधिक महत्व है और इसीलिये भक्तगण इस दिन सुबह-सुबह अपने दैनिक कार्यों को करने के बाद पूजा-अर्चना में लग जाते हैं।
- इस दिन मंदिरों में भारी भीड़ देखने को मिलती है।
- इस दिन भक्त स्नानादि के बाद अपने घर को साफ करते हैं।
- उसके बाद पूजा वेदी तैयार की जाती है, और भगवान मुरुगन की प्रतिमा पर पुष्प माला अर्पित की जाती है।
- आटा, घी और गुड़ से तैयार एक दीपक जलाया जाता है जो बहुत शुभ माना जाता है।
- सुब्रह्मण्य कवचम और कंडा षष्ठी कवचम का जाप करके पूजा की जाती है।
- अगरबत्ती, चंदन, हल्दी का लेप और सिंदूर भगवान को चढ़ाया जाता है।
- भक्त भोग के रूप में कई व्यंजनों को तैयार करते हैं।
- बाद में सुब्रह्मण्य जी की आरती की जाती है।
- कई भक्त इस दिन उपवास रखते हैं। उपवास भोर के दौरान शुरू होता है और शाम के दौरान समाप्त होता है। सुबह के साथ-साथ शाम को भी पूजा की जाती है।
कार्तिगाई दीपम् पूजा के लाभ
- कार्तिगाई दीपम् की पूजा हमें आध्यात्मिक रूप से विकसित करने में मदद करती है।
- यह हमें भगवान के करीब लाता है और हमारे भीतर की शांति को बढ़ावा देता है।
- दीपक जलाने का प्रतीकात्मक अर्थ है अंधकार पर प्रकाश की जीत। यह हमें अपने जीवन में सकारात्मकता लाने और नकारात्मक विचारों को दूर करने के लिए प्रेरित करता है।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिगाई दीपम् की पूजा करने से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- इस पूजा से घर में सुख-समृद्धि आती है और जीवन में सफलता मिलती है।
- कार्तिगाई दीपम् की पूजा करने से कई प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।
- यह पूजा मन को शांत करती है और तनाव को कम करती है।
- दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- यह त्योहार परिवार के सदस्यों को एक साथ लाता है और उनके बीच प्रेम और भाईचारा बढ़ाता है।
इस पर्व से जुड़ी हुई पौराणिक कथा
इस पर्व से जुड़ी हुई एक पौराणिक कथा भी है, जिसके अनुसार, एक बार भगवान शिव ने भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी को अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए स्वयं को प्रकाश की अनन्त ज्योत में बदल लिया था। इसलिए उनके सम्मान में इस दिन ज्योत जलाने का विधान है।
ऐसे ही व्रत, त्यौहार और अन्य धार्मिक जानकारी पाने के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' के साथ।आपका दिन शुभ हो।