कालाष्टमी व्रत से जुड़ी कथा

कालाष्टमी व्रत से जुड़ी कथा

6 सितम्बर, 2023 पढ़ें यह व्रत कथा मिलेगा व्रत का पूर्ण लाभ


पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों में श्रेष्ठता को लेकर विवाद छिड़ गया। बात इतनी बढ़ गई कि इसका समाधान खोजने के लिए सभी देवताओं को बुलाकर बैठक की गई। जिसमें सभी से यह प्रश्न किया गया कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों में सबसे श्रेष्ठ कौन है? इस पर सभी देवों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। इन विचारों का समर्थन शिवजी और विष्णु ने तो किया, परंतु ब्रह्मा जी ने शिवजी को क्रोध में आकर कुछ अपशब्द कह दिए। जिस पर शिव जी को क्रोध आ गया। और फिर शिवजी ने उस क्रोध में अपने रूप से भैरव को जन्म दिया।

बता दें भगवान भैरव का वाहन काला कुत्ता है और इनके एक हाथ में छड़ी है। इस अवतार को ‘महाकालेश्वर’ व दंडाधिकारी के नाम से भी जाना जाता है। शिव जी के इस स्वरूप को देखकर बैठक में मौजूद देवता भी भयभीत हो गए। भगवान शिव के रुद्रावतार भगवान भैरव ने क्रोध में ब्रह्माजी के 5 मुखों में से 1 मुख को काट दिया, यही कारण है कि तब से ब्रह्माजी के पास सिर्फ 4 मुख ही हैं। ब्रह्माजी के सिर को काटने के कारण भगवान भैरव पर ब्रह्महत्या का पाप आ गया।

इसके बाद भगवान शिव ने भैरव को ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति का उपाय बताते हुए उन्हें पृथ्वीलोक पर जाकर प्रायश्चित करने को कहा। इस तरह कई वर्षों तक भगवान भैरव ने शिवजी के बताये हुए मार्ग पर चलते हुए पश्चाताप किया और कई वर्षों के बाद अंत में काशी में उनकी यह यात्रा पूर्ण हुई। काल भैरव को ब्रह्महत्या से मुक्ति बाबा विश्वनाथ की नगरी में मिली, जहां पर वे काशी के कोतवाल बनकर हमेशा के लिए वहां के होकर रह गए। इस तरह से ब्रह्महत्या के पाप का प्रायश्चित करने के कारण इनका नाम ‘दंडपाणी’ भी पड़ा।

तो ये थी कालाष्टमी से जुड़ी संपूर्ण व्रत कथा। हम आशा करते हैं कालाष्टमी का यह व्रत आपके जीवन में सुख-समृद्धि लाए।

श्री मंदिर द्वारा आयोजित आने वाली पूजाएँ

देखें आज का पंचांग

slide
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?

अभी डाउनलॉड करें श्री मंदिर एप

करें ईश्वर की भक्ति कहीं भी, कभी भी।

Play StoreApp Store
srimandir devotees