जन्माष्टमी एक ऐसा त्योहार है जिसे किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। इस दिन हमारे पालनहार श्री कृष्ण का जन्म हुआ था, इसलिए यह पर्व हर हिंदू के जीवन में विशेष महत्व रखता है। इस त्योहार में लाखों लोगों की आस्था व्याप्त है और यह लोगों के मन में श्रीकृष्ण के प्रति असीम प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। लेकिन क्या आप जानते है कि 2023 में जन्माष्टमी कब है और इससे जुड़ा शुभ मुहूर्त क्या है? अगर नहीं तो आइए जानते हैं जन्माष्टमी के शुभ मुहूर्त के बारे में।
जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त
इस साल कान्हा जी का 5250वां जन्मदिन मनाया जाएगा, जो बुधवार के दिन पड़ रहा है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन प्रभु के जन्म के बाद मध्य रात्रि के समय पूजा की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष 2023 में भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 6 सितंबर 2023 को दोपहर 3 बजकर 37 मिनट से होगी। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन 7 सितंबर 2023 शाम 4 बजकर 14 मिनट पर होगा। वहीं भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। वहीं, 6 सितंबर 2023 को रात्रि में पूजा करने का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से शुरू होगा, जो कि 12 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। वहीं सुबह 9 बजकर 20 मिनट से रोहिणी नक्षत्र शुरू होगा, जो अगले दिन 7 सितंबर के दिन सुबह 10 बजकर 20 मिनट तक रहेगा।
तो दोस्तों, यह थी जन्माष्टमी से संबंधित शुभ मुहूर्त के बारे में सम्पूर्ण जानकारी। आइए आगे जानते हैैं जन्माष्टमी के महत्व के बारे में।
जन्माष्टमी का महत्व
श्री कृष्ण का जन्मोत्सव हमारे पूरे देश में उमंग की एक नई लहर लेकर आता है, जिसमें सभी लोग सराबोर हो जाते हैं। लाखों लोग मंदिरों में, अपने घरों में कीर्तन, भजन गाते हुए श्री कृष्ण के जन्म का इंतज़ार करते हैं। जन्माष्टमी केवल एक त्योहार ही नहीं, बल्कि बहुत से लोगों की भावनाएं इससे जुड़ी हुईं हैं। यह वह दिन है जहां हर कोई भगवान श्रीकृष्ण का स्वागत एक शिशु की तरह अपने घर में करता है और उनके प्रति अपने स्नेह को व्यक्त करता है।
प्रेम, सत्य, न्याय और धर्म कृष्ण के जीवन का आधार है। कृष्ण ने अपने हर रूप में इन चार स्तंभों को स्थापित किया। बालकाल में कालिया सर्प को हराकर उन्होंने गोकुलवासियों को भय मुक्त किया। इंद्र का प्रकोप जब गोकुल पर वर्षा के रूप में बरस रहा था, तब गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर उन्होंने इंद्र का अभिमान भी तोड़ा और पूरे गांव की रक्षा भी की। कंस और शिशुपाल जैसे क्रूर राजाओं का वध किया, महाभारत में सारथी बनकर गीता का उपदेश दिया, वहीं श्री कृष्ण ने राधा से प्रेम किया और संसार में प्रेम की एक नई परिभाषा लिखी।
भगवान श्रीकृष्ण भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को पैदा हुए। उनके जन्म के समय अर्धरात्रि (आधी रात) थी, चन्द्रमा उदय हो रहा था और उस समय रोहिणी नक्षत्र भी था। इसलिए इस दिन को प्रतिवर्ष कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
श्री कृष्ण हर रूप में अद्भुत है! उनके जन्मोत्सव का महत्व ही यही है कि मनुष्य रूप में भी वे अद्वितीय है। हमेशा अपने भक्तों की सुनने वाले कृष्ण के जन्म की तिथि जन्माष्टमी पर व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। इसके अलावा कृष्ण भक्त इस व्रत को शांति का मार्ग पाने का एक माध्यम भी मानते हैं। जिन स्त्रियों को संतान सुख की कामना है उन्हें यह व्रत अवश्य रखना चाहिए।