गणेशोत्सव का पर्व बच्चे से लेकर बड़े बूढ़े सभी लोग हर्षोउल्लास के साथ मनाते है। लोग 10 दिन के लिए गणेश जी की प्रतिमा को अपने घरों और पंडालों में विराजित करते है। और उसके बाद इन प्रतिमाओं को विसर्जित किया जाता है। गणपति विसर्जन को भी बहुत ही हर्षोउल्लास के साथ मनाते है। ढोल नगाड़ों के साथ उनका भव्य विसर्जन किया जाता है। परन्तु विसर्जन के दौरान कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना भी जरुरी होता है।
विसर्जन के दौरान करें
गणपति विसर्जन से पूर्व गणपति जी की विधि-विधान से पूजा अर्चना करनी चाहिए है। उन्हें मोदक, दूर्वा, सुपारी और नारियल का भोग लगाना चाहिए। विशेष बात यह है कि प्रतिमा के साथ इन सामग्री को भी विसर्जित करना चाहिए। नारिलाय को फोड़ना नहीं चाहिए। इसे बिना फोड़े ही विसर्जित करें।
गणपती विसर्जन के समय गणेश जी की प्रतिमा को झटके के साथ प्रवाहित ना करें बल्कि धीरे धीरे ही जल में विसर्जित करना चाहिए।
इन दस दिनों में हुई गलतियों के लिए भगवान गणपति से क्षमा भी मांगे। ताकि यदि आपसे कोई भूल चूक हुई हो तो गणेश जी उसे क्षमा कर देें।
आजकल लोग गणपति जी की प्रतिमा को घर में भी विसर्जित करते है। इसलिए यदि आप गणपति जी की प्रतिमा अपने घर पर विसर्जित कर रहे है तो इसके लिए बड़ा पात्र ले और फिर प्रतिमा को धीरे धीरे उसमें समाहित करें। गणपति विसर्जन को बहुत ही धूमधाम के साथ करना चाहिए। इस पानी को बाहर नहीं फेंके। इसे किसी पौधे या फिर गमले में ही डालें। ध्यान रहे कि यह जल पैरों के नीचे नहीं आये और ना ही गंदे हांथो से इसे छुए।
विसर्जन के समय स्नान करके साफ वस्त्र पहनना चाहिए। तन मन से स्वच्छ होकर ही बप्पा का विसर्जन करें और उनसे अगले वर्ष भी आने की कामना करें।
विसर्जन के दौरान क्या न करें
इस विसर्जन में गलती से भी काले रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए। विसर्जन के समय इस बात का भी ध्यान रखें कि मूर्ति या फिर गणेश जी को जो चढ़ाया गया था वह आपके पैरों के नीचे न आये।