चतुर्थ मंगला गौरी व्रत 2024 (Mangala Gauri Vrat 2024)
जिस व्रत से जीवन मंगलमय होता है, वो है मंगला गौरी व्रत। मंगला गौरी व्रत हर साल सावन माह के मंगलवार को रखा जाता है। ऐसे में सावन में आने वाले सभी मंगलवारों का विशेष महत्व होता है। यह व्रत विवाहित महिलाएं और कुंवारी लड़कियां दोनों रखती हैं। यह व्रत माता पार्वती को समर्पित है। मंगला गौरी व्रत अत्यंत शुभ फलदायी बताया गया है। आइए जानते हैं इस बार चतुर्थ मंगला गौरी व्रत कब है और इस व्रत की पूजा विधि।
साल 2024 में चतुर्थ मंगला गौरी व्रत कब है?
- सावन का चतुर्थ मंगला गौरी व्रत 13 अगस्त 2024 (श्रावण, शुक्ल पक्ष, अष्टमी) को रखा जायेगा।
- सावन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 12 अगस्त, सोमवार को सुबह 07 बजकर 55 मिनट पर प्रारंभ होगी।
- इस तिथि का समापन 13 अगस्त, मंगलवार को सुबह 09 बजकर 31 मिनट पर होगा।
चतुर्थ मंगला गौरी व्रत का महत्व (Importance of Mangala Gauri Vrat)
श्रावण मास में आने वाला मंगला गौरी व्रत भगवान शिव की अर्धांगिनी माता पार्वती को समर्पित है। पुराणों में वर्णन मिलता है कि पार्वती जी ने भगवान शिव को पाने के लिए कई व्रत अनुष्ठान किए थे। मंगला गौरी व्रत उन्हीं में से एक है। मान्यता है कि जो सुहागिन स्त्रियां नियमपूर्वक इस व्रत का पालन करती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जिन विवाहित लोगों का वैवाहिक जीवन सुखमय न हो, उनके लिए भी मंगला गौरी व्रत बहुत ही चमत्कारी माना जाता है।
वहीं, यदि कोई कुंवारी कन्या सुयोग्य वर पाने की इच्छा से ये व्रत रखती है, तो माता पार्वती उसकी भी मनोकामना शीघ्र पूर्ण करती हैं। इसके अलावा जो निःसंतान जोड़े संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, उन्हें इस व्रत के प्रभाव से उत्तम संतान प्राप्त होती है।
इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04 बजकर 23 मिनट से 05 बजकर 06 मिनट तक होगा।
- प्रातः सन्ध्या - प्रातः 04 बजकर 45 मिनट से 05 बजकर 59 मिनट तक होगा।
- अभिजित मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 59 से दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक होगा।
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 38 मिनट से 03 बजकर 31 मिनट तक होगा।
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 02 मिनट से 07 बजकर 24 मिनट तक होगा।
- सायाह्न सन्ध्या - शाम 07 बजकर 02 मिनट से 08 बजकर 07 मिनट तक होगा।
- अमृत काल - 14 अगस्त की रात 01 बजकर 10 मिनट से 14 अगस्त की रात 02 बजकर 52 मिनट तक होगा।
- निशिता मुहूर्त - 14 अगस्त की रात 12 बजकर 04 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक होगा।
- रवि योग - 13 अगस्त की सुबह 10 बजकर 44 मिनट से 14 अगस्त की सुबह 05 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।
चतुर्थ मंगला गौरी व्रत पूजा विधि (Mangala Gauri Vrat Pooja Vidhi)
- मंगला गौरी व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की सफाई करें और स्नानादि कार्यों से निवृत हो जाएं।
- अब आप स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें और मंदिर को गंगाजल छिड़क कर शुद्ध कर लें।
- मंदिर की शुद्धि के बाद आप एक आसन पर लाल कपड़ा बिछा लें और कलश को स्थापित करें।
- उस पर माँ गौरी की प्रतिमा स्थापित करें, इसके बाद आप भगवान जी के समक्ष आटे के दीपक में 16 बत्तियां लगाकर जलाएं और व्रत का संकल्प लें।
- अब मंगला गौरी की व्रत कथा का श्रवण करें। इसके बाद अपने मन में माता पार्वती से उनका आशीष मांगे और श्रद्धापूर्वक भगवान गणेश और माँ पार्वती की आरती करें।
- आरती के बाद प्रसाद का वितरण करें।
ध्यान रखें कि इस व्रत में 16 वस्तुओं का अत्यधिक महत्व होता है। इस कारण माता को पुष्प मालाएं, लौंग, इलायची, सुपारी, फल, पान, चूड़ियां, मिठाई यह सभी सामग्रियां 16 की संख्या में चढ़ाई जाती हैं। इसके अलावा माँ गौरी को 16 श्रृंगार की वस्तुएं भी चढ़ाई जाती हैं।
चतुर्थ मंगला गौरी व्रत इस दिन क्या करें, क्या न करें ((Mangala Gauri Vrat 2024: Dos And Don'ts)
मंगला गौरी व्रत पर क्या करें?
- मंगला गौरी व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके शुद्ध हो जाएं, इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
- अपने घर व मंदिर को अच्छी तरह स्वच्छ कर लें और मां पार्वती व भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद माता पार्वती को लाल रंग का वस्त्र चढ़ाए।
- इस दिन पूजा में प्रयोग होने वाली सभी सामग्री 16 की संख्या में लें। मंगला गौरी व्रत में पान, सुपारी, लौंग, इलायची, फल, पान, लड्डू, सुहाग की सामग्री और चूड़ियों का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा पांच प्रकार के मेवे और सात प्रकार का अन्न भी रख लें।
- व्रत रखने वाले जातक इस दिन मंगला गौरी व्रत की कथा अवश्य सुनें। विधि-विधान से पूजा करने के बाद प्रसाद वितरित करें। साथ ही इस दिन लोगों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार धन व अन्न दान करें।
- एक बार जब मंगला गौरी व्रत रखना प्रारंभ करें, तो लगातार पांच सालों तक हर श्रावण में इस व्रत का पालन करें, और पांचवें वर्ष में श्रावण मास के अंतिम मंगलवार को इस व्रत का उद्यापन करें। बिना उद्यापन के आपका व्रत पूर्ण नहीं होगा।
मंगला गौरी व्रत पर क्या ना करें?
- मंगला गौरी व्रत मंगलवार के दिन किया जाता है, और ऐसी मान्यता है कि मंगलवार को दाढ़ी बनवाना या बाल कटाना अशुभ होता है। कहते हैं कि ऐसा करने से असमय मृत्यु हो सकती है, साथ ही इससे मंगल दोष भी लगता है।
- मंगला गौरी व्रत के दिन श्रृंगार की सामग्री न खरीदें, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन श्रृंगार का सामान खरीदने से वैवाहिक संबंधों कमज़ोर होते हैं।
- मंगलवार के दिन नाखून काटना अशुभ होता है। इसलिए जातक मंगला गौरी व्रत के दिन नाखून काटने से बचें।
- इस दिन काले रंग के वस्त्र न पहनें। माना जाता है कि मंगला गौरी व्रत के दिन लाल रंग के वस्त्र पहनने से मंगल दोष का प्रभाव कम होता है।
- माता गौरी की पूजा आराधना के समय अपने मन में किसी प्रकार का छल कपट न रखें, और न ही किसी के प्रति क्रोध करें।
मंगला गौरी व्रत में क्या खाना चाहिए ((What to eat during Mangala Gauri vrat?)
व्रती स्त्रियों के लिए ये जानना भी बहुत महत्वपूर्ण है कि तृतीय मंगला गौरी व्रत में क्या खाएं। तो आपको बता दें कि इस व्रत के समय आप फलाहारी भोजन कर सकते हैं। इसमें आप फल जैसे- सेब, केला, अंगूर आदि खा सकते हैं। इसके साथ ही साबुदाने की खीर, लौकी का हलवा इत्यादि का भी सेवन कर सकते हैं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इस दिन अपने आहार में नमक व अन्न का प्रयोग न करें।
तो यह थी चतुर्थ मंगला गौरी व्रत से जुड़ी पूरी जानकारी, हमारी कामना है कि आपका ये व्रत सफल हो, और भोलेनाथ व माता पार्वती की कृपा से आपका जीवन सुख सौभाग्य से परिपूर्ण रहे। ऐसे ही व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' के साथ। आपका दिन मंगलमय हो।