2023 में छठ पूजा कब है?
छठ पूजा का महत्व वैदिक काल से चला आ रहा है। इस पर्व में शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। संपूर्ण विधि के साथ छठ पूजा करने से रोग-दोष दूर होते हैं, संपन्नता आती है और पति की उम्र लंबी होती है।
साल 2023 में छठ पूजा का महापर्व 19 नवम्बर 2023 को है, जिसका प्रारम्भ 17 नवम्बर 2023 से होगा जबकि समाप्ति 20 नवम्बर 2023 को होगी।
छठ पूजा का पहला दिन
नहाय खाय- 17 नवम्बर 2023 को सूर्योदय- सुबह 6:17 पर सूर्यास्त- शाम 5:10 पर
छठ पूजा का दूसरा दिन
लोहंडा और खरना- 18 नवम्बर 2023 को सूर्योदय- सुबह 6:17 पर सूर्यास्त- शाम 05:38 पर
छठ पूजा का तीसरा दिन
सन्ध्या अर्घ्य- 19 नवम्बर 2023 को सूर्योदय-सुबह 6:18 पर सूर्यास्त- शाम 5:10 पर षष्ठी तिथि प्रारम्भ - 18 नवम्बर 2023 को सुबह 09:18 से षष्ठी तिथि समाप्त - 19 नवम्बर 2023 को सुबह 07:23 पर
छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन
उषा अर्घ्य- 20 नवम्बर 2023 को सूर्योदय - सुबह 06:19 पर सूर्योस्त - शाम 05:09 पर
छठ पूजा पहला दिन - नहाए खाए या डाला छठ
छठ पूजा संयम और निष्ठा का पर्व है। 4 दिवसीय इस पर्व की शुरूआत नहाय खाय के साथ होती है। छठ मनाने वाले सभी भक्तों को बता दें, इस वर्ष 17 नवम्बर को नहाय-खाय के साथ इस पावन पर्व की शुरूआत होगी। नहाय-खाय को वरौना के नाम से भी जाना जाता है।
चलिए इस लेख में जानते हैं इस दिन से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां
नहाय-खाय के दिन क्या-क्या करें-
- प्रातःकाल में उठकर किसी निकटम नदी, तालाब, सरोवर या कुंड में स्नान करें। अगर यह संभव न हो तो पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान कर लें।
- अगर आप नदी में स्नान कर रहें हैं तो पानी में खड़े रह कर सूर्य देव को अर्घ्य दें। घर में भी स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें। साथ ही इस व्रत को करने का संकल्प लें।
- इसके अलावा विवाहित महिलाएं नाक से लेकर अपनी पूरी मांग नारंगी रंग के सिंदूर से भर लेती हैं। यह बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
- स्नान के बाद घर के मंदिर में आप जिस प्रकार रोज़ पूजा-पाठ करते हैं, उसी प्रकार पूजा करें।
- इसके पश्चात् सात्विक भोजन ग्रहण किया जा सकता है। घर के बाकी सदस्य भी इसके बाद यही भोजन प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
- खाने के बाद कई भक्त पूजा की अन्य तैयारियों के लिए पुनः स्नान करते हैं, तो आप अपनी घर की परंपराओं के अनुसार दोबारा घर में ही स्नान कर सकते हैं।
- इस दिन छठ में चढ़ने वाला प्रसाद, जैसे ठेकुए को बनाने के लिए गेहूं को धोकर सुखाया भी जाता है। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई पक्षी उसे जूठा न कर दे। इस पर्व में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
- इसके बाद घर की साफ-सफाई करें। इस पूजा में घर की साफ-सफाई का खास महत्व है। इस दिन लोग घर की धुलाई करते हैं और कच्चे घरों में रहने वाले लोग पूरे घर को गोबर से लीप लेते हैं। साथ ही सोने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चादरों को भी धो लिया जाता है।
- कई लोग एक अलग कमरे को साफ करके उसमें पूजा की सामग्री रखते हैं और पूजा के लिए पकवान भी बनाते हैं। पूजा में अर्पित किए जाने वाले भोग के लिए अलग से एक चूल्हा भी बनाया जाता है। यह चूल्हा मिट्टी या फिर ईंट का भी हो सकता है।
छठ पूजा में क्या-क्या खाएं?
इस दिन मुख्य रूप से-
- अरवा चावल (बिना उबाले हुए धान से निकाला हुआ चावल),
- लौकी की सब्ज़ी और चने की दाल खाने का विधान है।
- इसके साथ लोग कई अन्य साग का भी सेवन करते हैं लेकिन इन तीनों चीज़ों को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें टमाटर या लाल मिर्च का प्रयोग नहीं किया जाता है। साथ ही साधारण नमक की जगह सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है।
- नहाय खाय के दिन खासतौर से लौकी की सब्जी बनती है। इसके पीछे मान्यता ये है कि हिन्दू धर्म में लौकी को बहुत पवित्र माना जाता है। इसके अलावा लौकी स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद होती है।
छठ पूजा में क्या करें क्या नहीं-
- इस दिन से प्याज़-लहसुन का सेवन व्रती के अलावा घर के सदस्यों द्वारा भी नहीं किया जाता है।
- इस दिन से घर के किसी भी सदस्य द्वारा मांस-मदिरा का सेवन भी पूर्णतः वर्जित होता है।
- व्रती द्वारा भोजन केवल एक समय ग्रहण किया जाता है और केवल सात्विक चीज़ों का सेवन ही किया जाता है। तली हुई चीज़ें भी नहीं खाई जाती है।
- इस दिन से व्रती को भूमि पर शयन करना होता है।
छठ पूजा दूसरा दिन - खरना विधि
- छठ का दूसरा दिन, जिसे खरना या लोहंडा कहते हैं ,छठ पूजा में खरना का विशेष महत्व है। इस दिन से 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। इस दिन गुड़ की खीर बनाकर, उसे प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। चलिए जानते हैं खरना की संपूर्ण विधि-
- इस वर्ष खरना पूजा की तिथि- 18 नवम्बर 2023 को पड़ रही है
- इस दिन भी प्रातःकाल में उठकर महिलाएं स्नानादि से निवृत होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं और उसके बाद पूरे दिन उपवास रखती हैं। शाम में गुड़ की खीर बनाने की तैयारियां शुरू करती हैं। चलिए जानते हैं किस प्रकार बनाई जाती है यह खीर, किन बातों का रखना चाहिए विशेष ध्यान
- सबसे पहले जिस कमरे में प्रसाद बनाया जाएगा, उसे अच्छे से साफ-स्वच्छ कर लें।
- इसके बाद मिट्टी के चूल्हे पर यह प्रसाद बनाया जाता है। अगर चूल्हे का प्रयोग कर पाना संभव न हो तो लोग नए गैस-स्टोव का भी प्रयोग करते हैं, जिसे हर वर्ष केवल खरना बनाने के लिए ही उपयोग में लाया जाता है। मिट्टी के चूल्हे में ईंधन के रूप में लकड़ियों का प्रयोग किया जाता है।
- सबसे पहले चूल्हे की पूजा की जाती है। उसपर पांच बार घी अर्पित किया जाता है, पांच बार सिंदूर का टीका लगाया जाता है और पांच बार चावल अर्पित किए जाते हैं।
- इसके बाद इसपर पीतल का बर्तन चढ़ाया जाता है और उसमें गाय का दूध डाला जाता है। इस दूध में अरवा चावल को पानी में भिगोने और धोने के बाद डाला जाता है। जब यह चावल पक जाते हैं तो इसमें गुड़ या गन्ने का रस डाला जाता है। इस खीर को धीमी आंच पर पकाया जाता है।
- खीर के साथ घी वाली रोटी बनाई जाती हैं। रोटी के लिए गेहूं को पहले ही धुल कर, सुखा कर और पीस कर रख लिया जाता है।
- रोटी, खीर और केले को एक केले के पत्ते पर रखा जाता है और साथ में पुष्प भी रखें जाते हैं। यह प्रसाद श्रद्धापूर्वक छठी मैया,सूर्य देव और मंदिर में स्थापित सभी देवी-देवताओं को अर्पित किया जाता है।
- भगवान को प्रसाद अर्पित करने के बाद सभी परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और कुंवारी कन्यायों को खिलाया जाता है।
- इसके बाद ही व्रती महिलाएं, स्वयं इस प्रसाद को ग्रहण करती हैं, साथ में अन्य मीठी चीज़ें भी ग्रहण करती हैं।
छठ पूजा तीसरा दिन - संध्या अर्घ्य
छठ के तीसरे दिन को संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि छठ पूजा की मुख्य तिथि होती है, इसे डाला छठ भी कहा जाता है। चलिए जानते हैं किस प्रकार दिया जाता है संध्या अर्घ्य-
**संध्या अर्घ्य की तिथि- 19 नवम्बर 2023 को पढ़ रही है **
- सबसे पहले सुबह स्नानादि से निवृत हो जाएं, और स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
- इसके बाद व्रती पूरे दिन निराहार और निरजला व्रत रखते हैं।
- संध्याकाल में सूर्यास्त से पहले, लोग किसी घाट पर अर्घ्य देने की तैयारियों में लग जाते हैं।
- एक बांस की टोकरी को सजाया जाता है और इसमें पूजा में अर्पित की जाने वाली पूरी सामग्री रख ली जाती है।
- इस सामग्री में चावल, सिंदूर, दीपक, गन्ना, हल्दी, थाली, दूध और गिलास, विभिन्न प्रकार के फल, शहद, बड़ा नींबू, पान-सुपारी, कपूर, मिठाई, चंदन, फल, ठेकुआ, अन्य पकवान आदि शामिल होते हैं।
- इसके बाद नंगे पांव घाट के, नदी के तट तक जाया जाता है।
- नदी के किनारे छठ माता का चौरा बनाकर उसपर पूजा का सारा सामान रखकर नारियल अर्पित किया जाता है एवं दीप प्रज्वलित किया जाता है। छठ माता का चौरा यानी मिट्टी से उनका प्रतीकात्मक चित्र बनाया जाता है। इसपर चावल का ऐपन लगाया जाता है और आस-पास पांच गन्ने लगाए जाते हैं।
- सूर्यास्त से कुछ समय पहले, पूजा का सारा सामान लेकर घुटने तक पानी में जाकर खड़े होकर, डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर पांच बार परिक्रमा की जाती है।
- इसके साथ ही महिलाएं सूर्यदेव और छठी मैया से अपने बच्चों और परिवार की सलामती की प्रार्थना करती हैं।
छठ पूजा चौथा दिन - पारण विधि कब और कैसे करें
- छठ पूजा सूर्य देव को समर्पित एक प्रसिद्द त्योहार है जो साल में दो बार, चैत्र और कार्तिक महीने में, पड़ता है। यह त्योहार चार दिन तक चलता है।
- चौथा दिन ऊषा अर्घ्य का होता है जिसमें व्रती उगते हुए सूरज को अर्घ्य देते हैं और फिर व्रत का पारण करते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि चौथे दिन सूर्य देव का पूजन कैसे करना चाहिए और व्रत पारण की विधि क्या है।
- इस वर्ष छठ पूजा का चौथा दिन 20 नवम्बर को पड़ रहा है।
अर्घ्य देने और व्रत पारण की विधि
सबसे पहले नदी में पूर्व दिशा की ओर मुंह करके कमर जितने पानी में खड़े हो जाएं। अब एक तांबे का लोटा लें और उसमें जल, लाल चन्दन, लाल फूल, चावल और कुश डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय लोटे से गिर रही जल की धारा को देखें और सूर्य देव से अपनी मनोकामना कहें। अर्घ्य देने के बाद परिक्रमा करें, फिर सूर्य देव को झुककर प्रणाम करें और उनका आशीर्वाद लें। इसके बाद नदी में मौजूद सभी लोगों को प्रसाद वितरण करें और बचे हुए प्रसाद को लेकर घर आ जाएँ। घर में कच्चे दूध का शरबत पीकर और प्रसाद खाकर व्रत का पारण करें। कुछ लोग घाट पर ही प्रसाद खाकर व्रत का पारण कर लेते हैं और घर पहुंचकर नमकयुक्त भोजन करते हैं।