धनु संक्रांति | Dhanu Sankranti 2024
ज्योतिष शास्त्र में, सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में गोचर करने को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार पूरे साल में बारह संक्रांति होती हैं। हर राशि में सूर्य के प्रवेश करने पर उस राशि का संक्रांति पर्व मनाया जाता है। संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा का विधान है। मार्गशीर्ष मास में जब भगवान सूर्य 'वृश्चिक राशि' से 'धनु राशि' में गोचर करते हैं, तो उस संक्रांति को धनु संक्रांति कहा जाता है। आपको बता दें कि धनु संक्रांति पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में विशेष रूप से मनाई जाती है। इस संक्रांति के अवसर पर भगवान विष्णु, सूर्य देव और भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने का विधान है।
धनु संक्रांति कब है
इस माह 15 दिसंबर, रविवार को सूर्यदेव वृश्चिक राशि से धनु राशि में गोचर कर रहें हैं, और इस दिन को धनु संक्रांति के नाम से मनाया जाएगा।
- धनु संक्रान्ति पुण्य काल - 11:53 AM से 05:11 PM तक, अवधि - 05 घण्टे 17 मिनट्स
- धनु संक्रान्ति महा पुण्य काल - 03:25 PM से 05:11 PM तक, अवधि - 01 घण्टा 46 मिनट्स
- धनु संक्रान्ति का क्षण - 10:19 PM
धनु संक्रांति के शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त - 04:49 AM से 05:42 AM
- प्रातः सन्ध्या - 05:16 AM से 06:36 AM
- अभिजित मुहूर्त - 11:32 AM से 12:14 PM
- विजय मुहूर्त - 01:39 PM से 02:21 PM
- गोधूलि मुहूर्त - 05:08 PM से 05:35 PM
- सायाह्न सन्ध्या - 05:11 PM से 06:31 PM
- अमृत काल - 06:06 PM से 07:36 PM
- निशिता मुहूर्त - 11:27 PM से 12:20 AM, 16 दिसम्बर
धनु संक्रांति का महत्व
शास्त्रों में धार्मिक रूप से धनु संक्रांति को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि धनु संक्रांति के दिन शुद्ध जल में तिल और गंगाजल की कुछ बूँदें मिलाकर स्नान करने से व्यक्ति का मन और आत्मा पाप मुक्त होती है।
इस दिन शुभ मुहूर्त में सूर्य देव की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है, साथ ही आरोग्य और संपन्नता का आशीर्वाद भी मिलता है।
इस संक्रांति पर स्नान-दान और तर्पण का भी खास महत्व होता है। भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए संक्रांति एक खास अवसर होता है, इसीलिए आप इस अवसर को व्यर्थ न जाने दें।
यह समय भारत के कुछ राज्य जैसे कि आन्ध्रप्रदेश, कर्नाटक, केरल और उड़ीसा में धूमधाम से मनाया जाता है। उड़ीसा में इस दिन भगवान जगन्नाथ को मीठा भात अर्पित किया जाता है।
धनु संक्राति पर सूर्यदेव की पूजा विधि
- इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं, और पास के किसी जलाशय या नदी में स्नान करें।
- अगर ऐसा संभव न हों तो आप घर पर ही पानी में तिल और गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
- स्नान करते समय मन ही मन भगवान सूर्य का स्मरण करें, स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें।
- यदि आप इस दिन व्रत रखना चाहते हैं, तो सूर्यदेव को नमन करके व्रत का संकल्प लें, और तांबे के कलश में तिल, जल, रोली और फूल मिलाकर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें।
- अर्घ्य देते समय ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करते रहें।
- इसके बाद पूजा स्थल को साफ करके, यहां नियमित रूप से की जाने वाली पूजा करें और सभी देवों को धूप-दीप, पुष्प, अक्षत, भोग समेत संपूर्ण पूजा सामग्री अर्पित करें।
- अब सर्वदेवों को नमन करके अपने घर परिवार के लिए सुख- समृद्धि और शांति की कामना करें।
- इसके बाद आप अपनी क्षमता के अनुसार तिल-गुड़ के लड्डू, अन्न (धान और गेहूं) और वस्त्र का दान करके अपने व्रत को पूरा करें।
धनु संक्रांति व्रत के लाभ
- सूर्य देव को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है। धनु संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। जिससे जीवन में कई तरह की समस्याएं दूर होती हैं।
- सूर्य देव स्वास्थ्य के देवता भी माने जाते हैं। इस दिन व्रत रखने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और कई तरह की बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, धनु संक्रांति के दिन व्रत रखने से आयु में वृद्धि होती है।
- इस दिन व्रत रखने से घर में सुख-समृद्धि आती है। धन लाभ होता है और जीवन में खुशहाली आती है।
- धनु संक्रांति के दिन व्रत रखने से पिछले जन्मों के किए गए पापों का नाश होता है।
- इस व्रत को रखने से मन शांत रहता है और तनाव कम होता है।
- धनु संक्रांति का व्रत रखने से आध्यात्मिक विकास होता है।
धनु संक्रांति व्रत कैसे रखें
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- सूर्य देव को जल अर्पित करें।
- सूर्य मंत्र का जाप करें।
- व्रत का संकल्प लें।
- दिन भर फलाहार करें।
- शाम को पूजा करें।
- गरीबों को दान करें।
धनु संक्रांति के दिन क्या करें
- सूर्य देव की पूजा करें।
- गंगा स्नान करें।
- दान करें।
- मंत्र जाप करें।
- धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।
धनु संक्रांति के दिन क्या न करें
- किसी से झगड़ा न करें।
- नकारात्मक विचार न करें।
- किसी का अपमान न करें।
जानें धनु संक्रांति के दिन दान का महत्व
- हिंदू धर्म में दान करने को पुण्य का काम माना जाता है। माना जाता है कि दान करने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और उसे पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
- धनु संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करने और दान करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। सूर्य देव स्वास्थ्य, समृद्धि और दीर्घायु के देवता हैं।
- हिंदू धर्म में कर्मफल का सिद्धांत माना जाता है। दान करने से अच्छे कर्म होते हैं और अच्छे कर्मों का फल व्यक्ति को सुख और शांति के रूप में मिलता है।
धनु संक्रांति पर क्या दान करें
- अन्न दान करना सबसे पुण्य का काम माना जाता है।
- गरीबों को वस्त्र दान करने से भी पुण्य मिलता है।
- धन दान करने से भी पुण्य मिलता है।
- आप अपनी क्षमता के अनुसार अन्य वस्तुएं भी दान कर सकते हैं जैसे कि किताबें, खिलौने आदि।
विशेष बात - वैसे तो हर संक्रांति को बेहद शुभ माना जाता है, लेकिन धनु संक्रांति के लिए यह बात पूर्णतः सही नहीं है। शास्त्रों के अनुसार धनु संक्रांति पर किसी भी तरह के शुभ कार्य करना, जैसे कि विवाह, गृहप्रवेश आदि शुभ कार्य वर्जित होते हैं। इसलिए इस दिन सिर्फ व्रत, दान स्नान और तर्पण जैसे कार्य ही करें।