दही हांडी उत्सव (Dahi Handi Utsav 2024)
दही हांडी भारत में, विशेषकर महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय त्योहार है। यह उत्सव भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा के साथ जुड़ा हुआ है। दही-हांडी का उत्सव पूरे हर्षोल्लास के साथ देश में मनाया जाता है। इस त्योहार में युवा गोवर्धन पर्वत को उठाने वाले कृष्ण के रूप में दही से भरी मटकी को तोड़ने का प्रयास करते हैं। आइए जानते हैं दही हांडी उत्सव कब मनाया जाएगा और इसका महत्व क्या है...
दही हांडी उत्सव कब है ? (Dahi Handi Utsav 2024 Date and Time)
- दही हांडी उत्सव 27 अगस्त 2024, मंगलवार को कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि पर मनाया जाएगा।
- अष्टमी तिथि 26 अगस्त को प्रातः 03 बजकर 39 मिनट से आरंभ होगी। जिसका समापन 27 अगस्त को मध्य रात्रि 02 बजकर 19 मिनट पर होगा।
दही हांडी उत्सव का महत्व (Importance of Dahi Handi Utsav)
जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और धर्म की स्थापना में उनके योगदान का उत्सव है। भगवान श्रीकृष्ण की अद्भुत लीलाएं आज भी हमें प्रभु की महिमा का स्मरण करवाती हैं। इस दिन कई जगहों पर दही-हांडी को फोड़ने से संबंधित प्रतियोगिताओं और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
इन प्रतियोगिताओं में कई लोग एकत्रित होकर पिरामिड का निर्माण करते हैं। इसके बाद कोई एक व्यक्ति पिरामिड की मदद से ऊपर चढ़ता है और दही-हांडी को फोड़ने का प्रयास करता है। दही हांडी फोड़ने में सफल होने वाली टीम को पुरस्कार दिया जाता है। इस प्रकार के कार्यक्रमों की मदद से समाज में एकता और धार्मिक जागृति आती है।
दही हांडी उत्सव का शुभ मुहूर्त (Dahi Handi Utsav 2024 Shubh Muhurat)
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04 बजकर 07 मिनट से प्रातः 04 बजकर 52 मिनट तक रहेगा।
- प्रातः सन्ध्या मुहूर्त प्रात: 04 बजकर 29 मिनट से सुबह 05 बजकर 37 मिनट तक होगा।
- इस दिन अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 34 मिनट से दोपहर 12 बजकर 25 मिनट तक रहेगा।
- विजय मुहूर्त दिन में 02 बजकर 07 मिनट से 02 बजकर 58 मिनट तक रहेगा।
- इस दिन गोधूलि मुहूर्त शाम में 06 बजकर 22 मिनट से 06 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।
- सायाह्न सन्ध्या काल शाम में 06 बजकर 22 मिनट से 07 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।
- इस दिन अमृत काल दोपहर में 12 बजकर 28 मिनट से दोपहर 02 बजकर 03 मिनट तक रहेगा।
- इस दिन निशिता मुहूर्त रात को 11 बजकर 37 मिनट से 12 बजकर 22 मिनट (28 अगस्त) तक रहेगा।
दही हांडी उत्सव क्यों मनाया जाता है?
भगवान श्रीकृष्ण बचपन में दही, दूध, मक्खन आदि बहुत शौक़ से खाते थे। नटखट कान्हा जी को दही-माखन इतना प्रिय था कि वह गोपियों की मटकी फोड़कर और उसमें से माखन चुरा कर खाया करते थे। इसके चलते उन्हें माता यशोदा से डांट भी सुननी पड़ती थी।
माखन के प्रति कान्हा जी के प्रेम के चलते यशोदा मैया अक्सर घर में दही हांडी को ऊँचे स्थान पर टांग देती थीं, जिससे नन्हे कान्हा उस हांडी तक न पहुंच पाएं। लेकिन कन्हैया जी को माखन खाने से कौन रोक सकता है, वह अपने मित्रों की टोली की मदद से चढ़कर हांडी फोड़ते थे और माखन खाया करते थे। भगवान श्री कृष्ण जी की इस लीला को दही-हांडी उत्सव के रूप में याद किया जाता है।
दही हांडी उत्सव कैसे मनाते हैं (How to celebrate Dahi Handi Utsav)
- युवा एक मानव पिरामिड बनाते हैं और सबसे ऊपर वाला व्यक्ति दही हांडी को तोड़ने का प्रयास करता है।
- दही हांडी को रंग-बिरंगे कपड़ों और फूलों से सजाया जाता है।
- उत्सव के दौरान पारंपरिक संगीत और नृत्य का आयोजन किया जाता है।
- दही हांडी तोड़ने वाली टीम को पुरस्कार दिए जाते हैं।
दही हांडी उत्सव से जुड़ी कुछ खास बातें...
- दही हांडी तोड़ने वाले युवाओं को 'गोविंदा' कहा जाता है।
- गोविंदा शब्द भगवान कृष्ण का एक नाम है।
- गोविंदाओं को रंग-बिरंगे कपड़े पहनाए जाते हैं और वे पारंपरिक ढोल-ताशे की धुन पर नाचते हैं।
- दही हांडी को रंग-बिरंगे कपड़ों, फूलों और झालरों से सजाया जाता है।
- इसे ऊंचे स्थान पर टांगा जाता है ताकि इसे तोड़ना मुश्किल हो।
- दही हांडी उत्सव के दौरान पूरे क्षेत्र में उत्सव का माहौल होता है। लोग ढोल, ताशे, और अन्य वाद्ययंत्र बजाते हैं।
- युवाओं में काफी उत्साह और जोश होता है।
- दही हांडी उत्सव के दौरान सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाता है।
- पुलिस और आपातकालीन सेवाएं हमेशा तैयार रहती हैं।
- कई राज्यों में दही हांडी तोड़ने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं।
- कई दही हांडी मंडलों द्वारा सामाजिक कार्यों में भी योगदान दिया जाता है, जैसे कि रक्तदान, वृक्षारोपण आदि।