अनंत चतुर्दशी 2024 (Anant Chaturdashi)
- अनंत चतुर्दशी 2024कब है अनंत चतुर्दशी?
- अनंत चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त
- क्यों मनाई जाती है अनंत चतुर्दशी?
- जानिए अनंत चतुर्दशी का महत्व
- अनंत चतुर्दशी पूजा की तैयारी कैसे करें?
- अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि क्या है?
- अनंत चतुर्दशी व्रत के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
- अनंत चतुर्दशी व्रत के लाभ
- अनंत चतुर्दशी व्रत से भगवान विष्णु को कैसे करें प्रसन्न?
- क्या है अनंत की 14 गाठों का महत्व और नियम
अनंत चतुर्दशी 2024 कब है (Anant Chaturdashi Kab Hai)
हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है। यह पर्व भगवान विष्णु को समर्पित होता है, इसलिए इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। अनंत चतुर्दशी के दिन पूजा होने तक उपवास रखा जाता है, और पूजा के समय भगवान विष्णु को अनंत रक्षा सूत्र अर्पित किया जाता है।
चलिए जानते हैं अनंत चतुर्दशी कब है?
- अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर, मंगलवार को मनाई जाएगी।.
- चतुर्दशी तिथि 16 सितंबर की दोपहर 03 बजकर 10 मिनट पर प्रारंभ होगी।
- चतुर्दशी तिथि 17 सितंबर को शाम 11 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी।
- अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्त सुबह 05 बजकर 45 मिनट से 11 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।
अनंत चतुर्दशी के शुभ मुहूर्त (Anant Chaturdashi Shubh Muhurat)
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04 बजकर 11 मिनट से प्रातः 04 बजकर 58 मिनट तक रहेगा।
- प्रातः सन्ध्या मुहूर्त प्रात: 04 बजकर 34 मिनट से सुबह 05 बजकर 45 मिनट तक होगा।
- अभिजित मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 28 मिनट से 12 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।
- विजय मुहूर्त दिन में 01 बजकर 55 मिनट से 02 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।
- इस दिन गोधूलि मुहूर्त शाम में 06 बजे से 06 बजकर 23 मिनट तक रहेगा।
- सायाह्न सन्ध्या काल शाम में 06 बजे से 07 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।
- अमृत काल सुबह 07 बजकर 29 मिनट से 08 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।
- निशिता मुहूर्त 17 सितंबर की रात 11 बजकर 29 मिनट से 12 बजकर 16 मिनट तक रहेगा।
अनंत चतुर्दशी के दिन विशेष रवि योग भी बन रहा है:
- रवि योग 17 सितंबर की सुबह 05 बजकर 45 मिनट से 01 बजकर 53 मिनट तक रहेगा।
धार्मिक मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा कर रक्षा सूत्र बांधने से जातक को अपने सभी कार्यों में सफलता मिलती है, साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से भी छुटकारा मिलता है।
क्यों मनाई जाती है अनंत चतुर्दशी? (Anant Chaturdashi Kyu Manaya Jata hai)
आज हम आपको जिस व्रत के बारे में बताने जा रहे हैं, उसके प्रभाव से आप 14 लोकों की समृद्धि पा सकते हैं।
हम बात कर रहे हैं भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के बारे में, जिसे आप अनंत चतुर्दशी के नाम से जानते हैं। इस दिन को सनातन धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यही वह व्रत है, जिसे पांडवों ने भी किया था और महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्त की थी।
यह व्रत भगवान विष्णु के अनंत रूप को समर्पित है। साथ ही इस तिथि को गणेशोत्सव के समापन के तौर पर भी मनाया जाता है। इस दिन व्रत करने से आपको भगवान विष्णु से अनंत अशीर्वाद प्राप्त होगा। आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं, कैसे-
अनंत चतुर्दशी का महत्व (Anant Chaturdashi Ka Mahatva)
श्री हरि विष्णु के सहस्त्रनामों में से एक नाम अनंत भी है। इसलिए अनंत चतुर्दशी के नाम से जानी जाने वाली यह तिथि, भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का अद्भुत अवसर मानी जाती है। अनंत चतुर्दशी का व्रत करने से एक ओर जहाँ आपके जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है, वहीं दूसरी ओर इस व्रत के प्रभाव से आप दीर्घाऊ भी बनते हैं। महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को धारण करती हैं।
इस व्रत के महत्व का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि जब पांडवों ने चौपड़ के खेल में जब अपना सर्वस्व खो दिया था, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें विधिपूर्वक अनंत चतुर्दशी का व्रत करने के निर्देश दिए थे।
इस शुभ दिन पर व्रत करने वाले भक्त अपने हाथ पर या गले में चौदह गांठों वाला एक कच्चा धागा बांधते हैं। इस धागे को अनंत सूत्र के नाम से जाना जाता है।
अनंत चतुर्दशी पूजा की तैयारी कैसे करें? (Anant Chaturdashi Puja Kaise Kare)
अनंत चतुर्दशी व्रत का पूर्ण लाभ पाने के लिए इस पूजा को शुभ मुहूर्त में और सटीक पूजा विधि से करने की सलाह दी जाती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए, हम आपके लिए इस पूजा की संपूर्ण विधि भी लेकर आए हैं, आप इस को लेख को अंत तक ज़रूर पढ़ें।
चलिए सबसे पहले इस पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्रा के बारे में जान लेते हैं:
- चौकी या पाट,
- गंगाजल,
- लाल या पीला साफ वस्त्र,
- भगवान अनंत की ऐसी मूर्ति या तस्वीर,
- जिसमें उनका आसन शेषनाग भी उनके साथ मौजूद हो,
- पूजा की थाली, केले,
- आम के पत्ते,
- फूल,
- घी का दीपक,
- धूपबत्ती,
- एक कटोरी में कच्चा दूध,
- अनंत सूत्र बांधने के लिए धागा,
- प्रसाद में रखने के लिए पंजीरी,
- फल,
- शहद,
- घी
- दूध व दही को मिलाकर बनाया गया पंचामृत आदि।
इस सामग्री को एकत्रित करने के बाद आप पूजा की तैयारियां शुरू करें,
सबसे पहले इस दिन आप प्रातः काल उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें, इसके बाद श्रीहरि का ध्यान करें और मन ही मन व्रत का संकल्प लें। इस संकल्प के बाद घर और पूजास्थल को गंगाजल से पवित्र करें।
अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि क्या है? (Anant Chaturdashi Puja Vidhi)
- पूजा की तैयारियां करने के बाद, शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें।
- पूजा स्थल पर एक चौकी स्थापित करें और इस पर लाल या पीले रंग का वस्त्र बिछाएं।
- इसके पश्चात् केले, आम के पत्तों और फूलों से एक छोटे से मंडप का निर्माण करके इसमें भगवान अनंत की ऐसी प्रतिमा या फोटो स्थापित करें।
- अब कच्चे सूत या लाल डोरे को एक कटोरी में कच्चे दूध में भिगोकर पूजा के दौरान भगवान के सामने रखें और भगवान को कुमकुम-हल्दी का तिलक लगाकर अक्षत भी चढ़ाएं।
- पुष्प, धूप-दीप आदि भगवान को अर्पित करें।
- हल्दी या कुमकुम के रंग रंगकर अनंत सूत्र में 14 गांठे लगाएं।
- हर गांठ के साथ भगवान अनंत का स्मरण करें और “ॐ अनंताय नमः” मंत्र का जाप करें।
- प्रसाद के रूप में पंजीरी, केले, पंचामृत या किसी फल को भगवान अनंत को अर्पण करें।
- प्रसाद अर्पण करते समय "नमस्ते देव देवेश नमस्ते धरणीधर। नमस्ते सर्वनागेन्द्र नमस्ते पुरुषोत्तम।।" इस मंत्र के साथ भगवान को नमस्कार करें।
- अब अनंत चतुर्दशी व्रत कथा का वाचन करें।
- आप श्रीमंदिर के माध्यम से यह कथा सुनकर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।
- कथा पूर्ण करने के बाद भगवान जगदीश की आरती से पूजा का समापन करें।
- प्रसाद सबमें वितरित करें और फिर स्वयं ग्रहण करें।
- इस दिन किसी से अपशब्द न कहें और मन ही मन भगवान विष्णु का ध्यान करते रहें।
- पूजा में समर्पित सामग्री को अगले दिन दान करें या विसर्जित करें।
तो इस प्रकार आप अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान अनंत की पूजा कर सकते हैं, और उनका आशीष प्राप्त कर सकते हैं। इसी तरह की विधिवत हर पूजा को करने के लिए आप श्रीमंदिर के साथ जुड़े रहिये, धन्यवाद!
यदि आप अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने वाले हैं तो कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें:
- व्रत के दौरान मीठा खाएं और नमक का सेवन ना करें।
- इस दिन पर चावल का सेवन भी वर्जित माना जाता है।
- यदि कोई व्यक्ति पूरे दिन का व्रत रखने में असमर्थ है, तो वे एक समय भोजन ग्रहण कर सकते हैं।
- इस दिन ज़रुरतमंद लोगों की मदद करें और दान अवश्य दें,
- साथ ही पूजा के समय श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ अवश्य करें।
अनंत चतुर्दशी व्रत के लाभ
वेदों में वर्णन है कि अनंत चतुर्दशी के व्रत को लगातार चौदह वर्षों तक नियमानुसार करने से आपको सम्पन्नता का आशीष मिलता है, और भगवान अनंत की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अनंत चतुर्दशी व्रत से भगवान विष्णु को कैसे करें प्रसन्न?
प्रिय पाठकों, श्री मंदिर में आपका एक बार फिर स्वागत है। क्या आप भी अपने जीवन में धन, सुख-समृद्धि, सकारात्मक ऊर्जा और अपार खुशियों की कामना करते हैं। तो आप भी 17 सितंबर यानी अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत से भगवान विष्णु को प्रसन्न कर सकते हैं और कुछ खास उपाय करके अपने जीवन के सभी दुखों को दूर कर सकते हैं। तो आईए जानते हैं, इस अनंत चतुर्दशी को किए जाने वाले कुछ कारगर उपाय:
पुराने विवादों से मिलेगी मुक्ति
अनंत चतुर्दशी के दिन सत्यनारायण भगवान के कलश पर 14 जायफल चढ़ाने और उनको जल में प्रभावित करने से कई दिनों से चले आ रहे विवादों से आपको मुक्ति मिल सकती है।
घर में होगी सुख समृद्धि
इस दिन अनंत सूत्र को बाजू में जरूर बांधना चाहिए और अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते मंत्र का पाठ करने से घर में सुख समृद्धि बढ़ती है।
नकारात्मक ऊर्जा होगी खत्म
पुरुषों को अनंत सूत्र को दाएं हाथ में और महिलाएं को बाएं हाथ में बाधंना चाहिए। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए और सपरिवार खुद भी प्रसाद को ग्रहण करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होने की संभावना बढ़ जाती है।
असाध्य बीमारी से मिलेगी मुक्ति
यदि आपके घर का कोई सदस्य किसी पुरानी बीमारी से बहुत दिनों से ग्रसित है, तो अनंत चतुर्दशी के दिन अनार उसके सर से वार कर भगवान सत्यनारायण के कलश पर चढ़ा कर और फिर इसे गाय को खिला दें। ऐसा करन आपके जीवन के लिए फायदेमंद और सहायक साबित होगा।
दांपत्य जीवन में मधुरता
अनंत चतुर्दशी के दिन श्री हरि के मंदिर में लाल फूल और सफेद मिठाई अर्पित करने से दांपत्य जीवन में मधुरता बढ़ती है।
धन-हानि से मुक्ति
अनंत कलश पर 21 राजमा चढ़ाकर जल में प्रभावित करने से लगातार हो रही धन -हानि और कर्ज से मुक्ति मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
अनायास मुसीबतें होंगी दूर
अनंत चतुर्दशी के दिन लड्डू में 14 लॉन्ग लगाकर सत्यनारायण भगवान के कलश पर जरुर अर्पित करना चाहिए और बाद में इस लड्डू को गाय को खिलाना चाहिए। ऐसा करने से मुसीबतें आपसे दूर रहेंगी।
शादी के बनेंगे शुभ योग
अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह सबसे से पहले पीले वस्त्र धारण करके केले के पेड़ का पूजन करने से शादी में हो रही देरी धीरे-धीरे दूर होने की संभावना बढ़ जाती है। इस अनंत चतुर्दशी उम्मीद करते हैं, आप भी यह सरल उपाय अपनाकर अपने जीवन को खुशियों से भर देंगे। लेकिन इससे पहले एक विशेष अपील- कोई भी उपाय अपनाने से पहले किसी ज्योतिष या फिर श्री मंदिर के ज्योतिष से सलाह लेना ना भूलें।
क्या है अनंत की 14 गाठों का महत्व और नियम
इस लेख में हम आपको बताने वाले हैं कि अनंत चतुर्दशी पर बांधे जाने वाले, चौदह गांठों वाले अनंत सूत्र से आपके जीवन में कितना कुछ बदल सकता है।
भगवान अनंत, श्री हरि विष्णु का अवतार हैं, इसलिए भगवान विष्णु से सुख-शांति और समृद्धि का आशीष पाने के लिए अनंत चतुर्दशी का व्रत किया जाता है, तथा अनंत सूत्र को कलाई पर बांधा जाता है। भगवान विष्णु ने सृष्टि की रचना के समय भौतिक जगत में इन चौदह लोक को रचा था, जिनके नाम कुछ इस प्रकार है - भू, भुवः, स्वः, महः, जन, तप, ब्रह्म, अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल, महातल और पाताल। ऐसी मान्यता है कि अनंत सूत्र में बाँधी गई चौदह गांठे इन्हीं चौदह लोकों का प्रतीक है।
इन चौदह लोकों का पालन करने के लिए भगवान विष्णु 14 रूपों में प्रकट हुए। यह 14 रूप एक साथ अंतहीन प्रतीत हो रहे थे, इसलिए विष्णु जी के इस रूप को अनंत का नाम मिला।
इस प्रकार अनंत धागे को कलाई पर बांधने से और अनंत चतुर्दशी का विधिपूर्वक व्रत करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति होती है। सिर्फ इस एक सूत्र के प्रभाव से आपके जीवन से हर तरह की बाधाएं और सभी नकारात्मक प्रभाव दूर हो जाते हैं।
अनंत सूत्र को अपनी कलाई पर धारण करने से पहले कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें जैसे कि आप इस व्रत की पूजा विधि करने के बाद ही अनंत सूत्र को धारण करें। सूत्र बांधने से पहले इसे कच्चे दूध में डुबोकर भगवान विष्णु के सामने या पूजास्थल पर रखें। सूत्र को कलाई पर बांधते समय भगवान अनंत का ध्यान करते रहें साथ ही मन ही मन में “ॐ अनन्ताय नमः” मंत्र का जाप करते रहें।
पुरुष इस सूत्र को दाहिने हाथ पर बांधे, और महिलाएं इसे अपनी बाईं कलाई पर बांधे। अनंत सूत्र को पूरे एक साल तक अर्थात अगली अनंत चतुर्दशी तक धारण करने का नियम है, लेकिन अगर आप इसे एक साल तक बांधकर रखने में असमर्थ हैं, तो कम से कम इसे 14 दिनों तक बांधें और उसके बाद इसे विसर्जित करें।
इस धागे को गलती से भी तोड़ें या काटें नहीं। इसे खोलकर विसर्जित करें। कथा के अनुसार ऋषि कौडिन्य ने अपनी पत्नी सुशीला के हाथ से अनंत सूत्र को तोड़कर आग में जला दिया था, जिसकी वजह से उन्होंने अपना सारा वैभव खो दिया था। अनंत सूत्र को पहने रखने तक मांस-मदिरा का सेवन न करें।
किसी भी कच्चे या रेशम के धागे को कुमकुम या हल्दी से रंग कर उससे बनाये गए इस अनंत सूत्र में आपकी मनोकामनाओं को पूरा करने की शक्ति होती है।
तो भक्तों, ये थी अनंत चतुर्दशी से जुड़ी जानकारी। हमारी कामना है कि आपको इस व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त हो, और आप पर भगवान विष्णु की कृपा सदैव बनी रहे। ऐसी ही धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' के इस धार्मिक मंच पर।