कार्तिक अमावस्या की कथा | Kartik Amavasya Ki Katha
शुभ दीपावली, श्री मंदिर पर आपका स्वागत है। हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास बेहद खास माना जाता है। दीपावली सहित कई बड़े त्यौहार इसी माह में पड़ते हैं। इसी माह की अमावस्या पर दीपावली से जुड़ी बहुत सी कथाएं प्रचलित हैं। जिसमें से हम आज आपको सुनाने जा रहें हैं कार्तिक अमावस्या की सबसे पौराणिक कथा -
एक बार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि के दिन देवी लक्ष्मी पृथ्वीलोक पर विचरण कर रहीं थीं। परंतु गहरे अंधकार के कारण देवी अपने मार्ग की दिशा से भटक जाती हैं। उसी मार्ग में आगे चलते चलते उन्हें एक स्थान पर कुछ दीपक की रोशनी दिखाई देती है। देवी उस रोशनी के समीप जाती हैं तो देखती हैं की वहां एक झोपड़ी है। जहाँ एक वृद्ध स्त्री अपने घर के बाहर दीपक जलाए हुए थी और झोपड़ी का द्वार खुला हुआ था।
देवी लक्ष्मी उस वृद्ध महिला के पास जाती हैं और उससे कहती हैं कि- “मैं इस घने अंधकार में रास्ता भटक गई हूँ। क्या मुझे आपके यहाँ रात भर रुकने के लिए स्थान मिल सकता हैं?”
कार्तिक अमावस्या कथा इन हिंदी | Kartik Amavasya Katha In Hindi
इस पर वह वृद्ध महिला देवी लक्ष्मी से कहती है - “आप मेरी अतिथि हैं, आप निश्चिन्त होकर यहाँ विश्राम करें, मैं आपके लिए अभी भोजन और बिस्तर आदि की व्यवस्था कर देती हूँ”। उस वृद्ध स्त्री का ऐसा भाव देखकर देवी लक्ष्मी वहां विश्राम करने के लिए रुक जाती हैं, और वह वृद्ध स्त्री पूरे प्रेम और आदर के साथ माँ का सत्कार करती है।
रात में लक्ष्मी माँ उसके ही घर में सो जाती हैं और वह वृद्धा भी सो जाती है।
इस प्रकार माता लक्ष्मी उस महिला के सेवाभाव और समर्पण के भाव से अत्यंत प्रसन्न होती हैं। अगले दिन जब वृद्धा जागती है तो देखती है कि उसकी साधारण सी झोपड़ी महल के समान सुंदर भवन में बदल गयी है और उसके घर में धन-धान्य की भरमार हो गई है। सभी सुविधाओं से युक्त उस बेहद भव्य महल में किसी भी चीज की कमी नहीं हैं। यह सब देखकर वह वृद्धा अत्यंत हैरान रह जाती है।
कार्तिक अमावस्या पौराणिक कथा
वास्तव में माता लक्ष्मी वहां से कब चली गई थीं, उस वृद्ध महिला को पता ही नहीं चलता। और इस प्रकार वह वृद्धा अपने घर में आई उस स्त्री का ध्यान करने लगती है। तब माता लक्ष्मी उसे दर्शन देती है, और कहती हैं कि कार्तिक अमावस्या के दिन उस अंधकार समय में मार्ग भूलकर मैं तुम्हारे पास आई थी। मैं तुम्हारें सेवा भाव से अत्यंत प्रसन्न हूँ। जिस प्रकार तुमने दीपक जलाकर कार्तिक मास की अमावस्या को रोशन कर दिया उसी प्रकार इस दिन जो भी दीपक जलाएगा और प्रकाश से मार्ग को उज्जवल करेगा, उसे मेरा आशीर्वाद सदैव प्राप्त होगा।
माना जाता है कि इस प्रकार हर वर्ष कार्तिक अमावस्या को रात्रि में दीप जलाकर प्रकाश उत्सव मनाने और देवी लक्ष्मी पूजन की परंपरा चली आ रही है। इस दिन माता लक्ष्मी के आगमन के लिए लोग घरों एवं अपने आय साधन वाले स्थानों जैसे दुकान, ऑफिस, गोदाम, फैक्ट्री आदि में माँ लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं और पूजा के दौरान घरों के द्वार खोलकर रखते हैं।
माना जाता है कि इस दिन भक्तों द्वारा जहाँ-जहाँ दीप जलाये जाते हैं और प्रकाश होता है, वहां माँ लक्ष्मी का आगमन अवश्य होता है, और धन-समृद्धि का अभाव नहीं होता।
तो भक्तों, ये थी माँ लक्ष्मी की आराधना के महापर्व दीपावली से जुड़ी कार्तिक अमावस्या की सबसे पौराणिक कथा। ऐसी ही अन्य धार्मिक कथाओं को सुनने के लिए श्री मंदिर के साथ बने रहिए।