इस विधि से सफल होगी होलिका की पूजा
आज हम आपके लिए लेकर आए हैं सामान्य रूप से की जाने वाली होलिका दहन की पूजा विधि।
इसके साथ ही इस लेख में आप जानेंगे -
1. होलिका पूजा की सामग्री
2. होलिका दहन की तैयारी
3. आसान होलिका पूजा विधि
1. होलिका पूजा की सामग्री
- पूजा की थाली
- हल्दी
- कुमकुम
- अक्षत
- अबीर-गुलाल
- फूल
- फल
- माला
- जल से भरा कलश
- गंगाजल
- घी का दीपक
- कर्पूर
- धुप
- नारियल
- नारियल का सूखा गोला
- मौली अथवा कलावा
- जनेऊ
- उपले
- बड़कुल्ले की मालाएं
- गोबर की ढाल
- शक्कर की माला
- गुड़
- सप्तधान्य की बालियां- गेहूँ, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल, मसूर
- भोग- गुजिया या चन्द्रकला
- दक्षिणा
2. होलिका दहन की तैयारी
- होलिका दहन की पूजा के लिए सबसे पहले सार्वजानिक रूप से होलिका तैयार की जाती है।
- इस होलिका को उपले, सूखी लकड़ी और सूखी घास आदि से सजाया जाता है। इसके बाद इसके आसपास रंगोली बनाई जाती है।
- दहन से पहले की जाने वाली पूजा में मौली, कलावा और जनेऊ में से जो भी आपके पास उपलब्ध हो, उसे होलिका की पांच अथवा सात परिक्रमा करते हुए होलिका माता को सूत्र बांधा जाता है।
- होलिका को हल्दी कुमकुम अक्षत के साथ फूल और मालाएं अर्पित की जाती है
- अब परम्परा के अनुसार शुभ मुहूर्त में होलिका दहन किया जाता है, और जलती हुई होलिका की पूजा की जाती है।
3. आसान होलिका पूजा विधि
- होलिका दहन की पूजा में सबसे पहले होलिका के पास घी का एक दीपक प्रज्वलित करें।
- अब कुमकुम, हल्दी, अक्षत आदि एक-एक कर होलिका को अर्पित करें।
- इसके बाद होलिका पर अबीर गुलाल चढ़ाएं।
- इसके पश्चात् जलती हुई होलिका माता को फूल चढ़ाएं।
- अब गाय के गोबर से बने खिलौने जिसे क्षेत्रीय भाषा में बड़कुल्ले भी कहा जाता है की चार मालाएं होलिका माता को पहनाएं।
- आपको बता दें कि इन चार मालाओं में से पहली माला आपके पितरों के नाम की होती है, दूसरी माला हनुमान जी को समर्पित होती है। तीसरी माला शीतला माता के नाम की होती है और चौथी माला आपके कुटुंब के नाम से चढ़ाई जाती है।
- इसके बाद शक्कर की माला भी होलिका माता को अर्पित करें। यदि शक्कर की माला न उपलब्ध हो सकें तो होलिका माता को गुड़ अवश्य अर्पित करें।
- आप होलिका की पांच अथवा सात परिक्रमा करते हुए जल कलश से होलिका के बाहर एक घेरा बनाते हुए जल अर्पित करें।
- इसके बाद होलिका के पास कर्पूर और धुप जलाएं।
- अपने घर में बना हुआ भोग भी दक्षिणा के साथ होलिका माता को चढ़ाएं।
- कुछ लोग श्रीफल अर्थात नारियल को होलिका की अग्नि में डाल देते हैं। जबकि कुछ लोग नारियल को होलिका माता के चरणों में फोड़कर इसे प्रसाद के रूप में बांटते हैं। यह आपकी परम्परा पर निर्भर करता है।
- अब भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए होलिका की आरती करें। आप अपनी परंपरा के अनुसार भगवान विष्णु अथवा भगवन गणेश की आरती से अपनी पूजा पूरी कर सकते हैं। यह दोनों ही आरती श्रीमंदिर पर भी आपके लिए उपलब्ध है।
- सभी देवों को नमन करते हुए पूजा में हुई किसी भी तरह की त्रुटि के लिए क्षमा मांगे।
- पूजा के समापन के रूप में सबमें प्रसाद बांटे और स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें।
नोट: होलिका दहन के बाद उसकी भस्म को घर आप मस्तक पर लगाएं और कुछ भस्म अपने साथ घर ले जाएं। कई लोग इस भस्म को कई रोग के निवारण के रूप में भी उपयोग करते हैं।
इस सरल पूजा विधि के साथ आपकी होलिका दहन की पूजा संपन्न होगी और आपकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी करेंगी।