रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने भजन | Racha Hai Srishti Ko Jis Prabhu Ne Lyrics

रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने भजन

यह भजन जीवन की सच्चाई को समझने, भगवान की अद्वितीय रचनाओं और उनके क्रियाकलापों के प्रति आभार व्यक्त करने का एक माध्यम है।


रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने भजन | Racha Hai Srishti Ko Jis Prabhu Ne Bhajan

ये एक ऐसा भजन है जो आपको उस सर्वशक्तिमान भगवान की महिमा का अहसास कराता है, जिसने इस संपूर्ण सृष्टि को रचा है। जब आप इसे सच्चे मन से गाते हैं, तो आपके मन में उन परमेश्वर की दिव्यता और उनके अद्वितीय स्वरूप के प्रति श्रद्धा पैदा होती है। ये भजन आपको यह समझाने में मदद करता है कि वह भगवान ही हैं, जिन्होंने हर चीज़ को अपने प्रेम और करुणा से रचा और हर जीव के जीवन में अपना आशीर्वाद भरने के लिए निरंतर प्रयासरत रहते हैं।

इस भजन के माध्यम से आप उन दैवीय शक्तियों को महसूस कर सकते हैं जो आपकी हर मुश्किल में आपका साथ देती हैं और जीवन को सरल और सुखमय बनाती हैं। भगवान की महिमा और कृपा पर विश्वास करते हुए, आप भी अपने जीवन के हर पहलु में शांति और संतोष पा सकते हैं।

रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने लिरिक्स | Racha Hai Srishti Ko Jis Prabhu Ne Lyrics

रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,

रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,

वही ये सृष्टि चला रहे है,

जो पेड़ हमने लगाया पहले,

उसी का फल हम अब पा रहे है,

रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,

वही ये सृष्टि चला रहे है ॥

इसी धरा से शरीर पाए,

इसी धरा में फिर सब समाए,

है सत्य नियम यही धरा का,

है सत्य नियम यही धरा का,

एक आ रहे है एक जा रहे है,

रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,

वही ये सृष्टि चला रहे है ॥

जिन्होने भेजा जगत में जाना,

तय कर दिया लौट के फिर से आना,

जो भेजने वाले है यहाँ पे,

जो भेजने वाले है यहाँ पे,

वही तो वापस बुला रहे है,

रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,

वही ये सृष्टि चला रहे है ॥

बैठे है जो धान की बालियो में,

समाए मेहंदी की लालियो में,

हर डाल हर पत्ते में समाकर,

हर डाल हर पत्ते में समाकर,

गुल रंग बिरंगे खिला रहे है,

रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,

वही ये सृष्टि चला रहे है ॥

रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,

वही ये सृष्टि चला रहे है,

जो पेड़ हमने लगाया पहले,

उसी का फल हम अब पा रहे है,

रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,

वही ये सृष्टि चला रहे है ॥

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