नगर मे जोगी आया भजन | Nagar Mein Jogi Aaya Bhajan
नगर में जोगी आया, भेद कोई समझ ना पाया, ये भजन भोलेनाथ की महिमा का बखान करता है। जब भोलेनाथ अपनी सरलता और प्रेम के साथ इस संसार में आते हैं, तो उनका रूप और आचरण इतना अद्भुत होता है कि कोई भी उनका असली रूप नहीं समझ पाता।
इस भजन में आप महसूस करेंगे कि भोलेनाथ के बारे में जो भेद हैं, वे केवल उनकी दिव्य दृष्टि और अनंत रहस्यों से जुड़े हुए हैं। जोगी का रूप, जो एक साधारण व्यक्ति के रूप में आता है, उसकी सरलता और मौन में ही उसकी गहरी शक्ति और ज्ञान छिपे होते हैं। ये भजन आपको ये सिखाता है कि भगवान की उपस्थिति किसी रूप, रूपी या दिखावे में नहीं होती, बल्कि उसकी शक्ति और सत्य केवल उन्हें ही समझ में आता है, जो सच्चे मन से उसका पूजन करते हैं।
नगर मे जोगी आया लिरिक्स | Nagar Mein Jogi Aaya Lyrics
नगर मे जोगी आया,
भेद कोई समझ ना पाया।
ऊँचे ऊँचे मंदिर तेरे,
ऊँचा है तेरा धाम,
हे कैलाश के वासी भोले,
हम करते है तुझे प्रणाम ॥
नगर मे जोगी आया,
भेद कोई समझ ना पाया,
अजब है तेरी माया,
इसे कोई समझ ना पाया,
यशोदा के घर आया,
सबसे बढ़ा है तेरा नाम,
भोलेनाथ भोलेनाथ भोलेनाथ ॥
अंग विभूति गले रूँड माला,
शेषनाग लिप्टायो,
बाँको तिलक भाल चंद्रमा,
घर घर अलख जगायो,
नगर में जोगी आया,
भेद कोई समझ ना पाया।
सबसे बढ़ा है तेरा नाम,
भोलेनाथ भोलेनाथ भोलेनाथ ॥
ले भिक्षा निकली नंदरानी,
कंचन थाल जडायो,
दो भिक्षा जोगी आसन जायों,
बालक मेरो डरायो,
नगर मे जोगी आया,
भेद कोई समझ ना पाया।
सबसे बढ़ा है तेरा नाम,
भोलेनाथ भोलेनाथ भोलेनाथ ॥
ना चाहिए तेरी दौलत दुनिया,
ना ही कंचन माया,
अपने लाला का दरश करा दे,
मै दर्शन को आया,
नगर में जोगी आया,
भेद कोई समझ ना पाया।
सबसे बढ़ा है तेरा नाम,
भोलेनाथ भोलेनाथ भोलेनाथ ॥
पाँच वार परिक्रमा करके,
सुन्डि नाद बजायौ,
सूरदास बलिहारी कन्हैया की,
जुग जुग जिये तेरो लालों,
नगर में जोगी आया,
भेद कोई समझ ना पाया।
सबसे बढ़ा है तेरा नाम,
भोलेनाथ भोलेनाथ भोलेनाथ ॥
नगर मे जोगी आया,
भेद कोई समझ ना पाया,
अजब है तेरी माया,
इसे कोई समझ ना पाया,
यशोदा के घर आया,
सबसे बढ़ा है तेरा नाम,
भोलेनाथ भोलेनाथ भोलेनाथ ॥