भोले भंडारी बन करके | Bhole Bhandari Banke Lyrics

भोले भंडारी बन करके

ये भजन सुनने वालों भक्तों को आध्यात्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। भगवान शिव की कृपा की प्रार्थना करते हुए, यह गीत भक्तों को भक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।


भोले भंडारी बन करके भजन | Bhole Bhandari Banke Bhajan

इक दिन वो भोले भंडारी बन करके ब्रज की नारी भजन सुनते समय, आप एक अद्भुत यात्रा पर निकलते हैं, जहाँ भगवान शिव और श्रीकृष्ण की लीलाएँ जीवंत होती हैं। इस भजन में, जब भगवान शिव ब्रज की गोपी के रूप में अवतार लेते हैं, तो आपके मन में एक गहरा प्रेम और श्रद्धा का अनुभव होता है। आप भगवान शिव की तपस्या और योग का अनुभव करते हैं, जो कृष्ण प्रेम से मोहित होकर गोपी का रूप धारण करते हैं।

जैसे-जैसे आप इस भजन को गाते या सुनते हैं, आपको महसूस होता है कि शिव जी का यह अवतार केवल एक कहानी नहीं, बल्कि भक्ति और प्रेम का एक गहरा संदेश है। इस भजन का हर बोल आपके मन में भक्ति का सागर भर देता है, और आप परमात्मा के साथ एक गहरा संबंध स्थापित करते हैं।

भोले भंडारी बन करके भजन लिरिक्स | Bhole Bhandari Banke Bhajan Lyrics


इक दिन वो भोले भंडारी, बन करके ब्रज की नारी, ब्रज/वृंदावन* में आ गए । पार्वती भी मना के हारी, ना माने त्रिपुरारी, ब्रज में आ गए ।

पार्वती से बोले, मैं भी चलूँगा तेरे संग में राधा संग श्याम नाचे, मैं भी नाचूँगा तेरे संग में रास रचेगा ब्रज मैं भारी, हमे दिखा दो प्यारी, ब्रज में आ गए । इक दिन वो भोले भंडारी...॥

ओ मेरे भोले स्वामी, कैसे ले जाऊं अपने संग में श्याम के सिवा वहां,

पुरुष ना जाए उस रास में

हंसी करेगी ब्रज की नारी,

मानो बात हमारी, ब्रज में आ गए ।

इक दिन वो भोले भंडारी...॥

ऐसा बना दो मोहे,

कोई ना जाने एस राज को

मैं हूँ सहेली तेरी,

ऐसा बताना ब्रज राज को

बना के जुड़ा पहन के साड़ी,

चाल चले मतवाली, ब्रज में आ गए ।

इक दिन वो भोले भंडारी...॥

हंस के सत्ती ने कहा,

बलिहारी जाऊं इस रूप में

इक दिन तुम्हारे लिए,

आये मुरारी इस रूप मैं

मोहिनी रूप बनाया मुरारी,

अब है तुम्हारी बारी, ब्रज में आ गए ।

॥ इक दिन वो भोले भंडारी...॥

देखा मोहन ने, समझ गये वो सारी बात रे ऐसी बजाई बंसी, सुध बुध भूले भोलेनाथ रे सिर से खिसक गयी जब साड़ी, मुस्काये गिरधारी, ब्रज में आ गए । ॥ इक दिन वो भोले भंडारी...॥

दीनदयाल तेरा तब से, गोपेश्वर हुआ नाम रे ओ भोले बाबा तेरा, वृन्दावन बना धाम रे भक्त कहे ओ त्रिपुरारी, राखो लाज हमारी, ब्रज में आ गए ।

इक दिन वो भोले भंडारी, बन करके ब्रज की नारी, ब्रज में आ गए । पार्वती भी मना के हारी, ना माने त्रिपुरारी, ब्रज में आ गए ।

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